पहले नहीं था इन्फ्रास्ट्रक्चर, आता था बार-बार परीक्षा में व्यवधान।
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स्नातक कक्षाओं में अब सरकार फिर से सेमेस्टर प्रणाली शुरू करने जा रही है, जिसमें परीक्षार्थियों को एक साथ पूरे कोर्स को याद करके परीक्षा देने की बजाए टुकड़ों में तैयारी करके परीक्षा देनी होगी। इस प्रणाली का कॉलेज प्रबंधन के अलावा स्टूडेंट्स ने भी बेहतर बताया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि उक्त सेमेस्टर प्रणाली पांच साल पूर्व स्नातक कक्षाओं में ही बंद की थी, जबकि पीजी, एलएलबी व अन्य प्रोफेशनल कोर्सेस में अभी भी यह प्रणाली लागू है। सरकार फिर जो सेमेस्टर प्रणाली लागू करने का मानस बना रही है, इस पर पत्रिका ने कॉलेज के विद्यार्थियों और शिक्षाविदों से परिचर्चा की। परिचर्चा में कुछ ने प्रणाली की विसंगतियां गिनाई तो कुछ ने इसका स्वागत किया।
गौरतलब है कि शासकीय एवं निजी कॉलेजों में होने वाली बीए, बीकॉम, बीएससी की परीक्षाओं में अभी तक परीक्षार्थियों को वार्षिक परीक्षा के लिए पूरे कोर्स को एक साथ पढक़र तैयारी करनी पड़ती थी। जिसके चलते अधिकांश विद्यार्थी यह सोचकर कि परीक्षा के नजदीक आने पर ही कॉलेज में कक्षाएं अटेंड करेंगे, इसलिए स्टूडेंट्स की उपस्थिति भी कम रहती थी। साथ ही विद्यार्थियों की संख्या अधिक होने की वजह से दो बार परीक्षा करवाना कॉलेज प्रबंधन को मुश्किल होता था। अब यदि सेमेस्टर प्रणाली से परीक्षाएं होंगीं तो फिर न केवल स्टूडेंट्स नियमित वर्ष भर कॉलेज आएंगे, बल्कि उन्हें परीक्षा की तैयारी करने के लिए समय भी मिल जाएगा। हालांकि यह प्रणाली पांच साल पूर्व तक चालू थी।लेकिन बाद में कॉलेजों में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी के चलते उसे बंद कर दिया था, क्योंकि साल भर परीक्षा कराने की स्थिति में कॉलेज नहीं हुआ करते थे। सेमेस्टर प्रणाली में आधे कोर्स की परीक्षा छह माह में तथा शेष आधे कोर्स की परीक्षा अगले छह माह में कराई जाएगी।
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स्नातक कक्षाओं में अब फिर से सेमेस्टर प्रणाली लागू करने पर सरकार विचार कर रही है। जिसके संबंध में अभी हाल ही में बैठक भी हुई है। देनवापोस्ट ने जब स्टूडेंट्स व प्रोफेसरों से इस संबंध में चर्चा की तो उनके विचार कुछ यूं रहे।
बीएससी सेकंड ईयर की छात्रा जागृति गौर का कहना है कि हमारी राय से क्या होता है, करना तो ऊपर वालों को है। जैसे भी परीक्षा की प्रणाली होगी, हमें तो उसके हिसाब से ही तैयारी करनी होगी। अभी जो परीक्षा प्रणाली उससे हम खुश हैं।
इतिहास के प्रो डीएस खत्री ने देनवा पोस्ट को बताया कि नई शिक्षा नीति के लिए सेमेस्टर सिस्टम लागू होना चाहिए। प्रदेश के कॉलेजों में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त है। स्टूडेंट्स को भी समय मिल जाएगा।
समाज शास्त्र के प्रो आरके चौकीकर ने बताया कि सेमेस्टर प्रणाली फिर से शुरू हो जाती है तो स्टूडेंट्स नियमित कॉलेज आएंगे तथा उन्हें सेमेस्टर की तैयारियों के लिए समय भी मिल जाएगा। वर्तमान सीएम के पास पहले उच्च शिक्षा था, तो उनके निर्णय बेहतर ही रहेंगे।
एमएलसी महाविद्यालय प्राचार्या डॉ नीता चौबे का कहना है कि सेमेस्टर प्रणाली शुरू हो जाएगी तो अच्छा है, विद्यार्थी पूरा कोर्स तैयार न करते हुए दो बार में याद करेंगे। परीक्षा की तैयारी के लिए उन्हें पर्याप्त समय मिल जाएगा तथा उसमें नंबर भी अच्छे आएंगे।