Indore News : भाजपा के पूर्व विधायक सत्तन को दिया था कांग्रेस ने चार नंबर विधानसभा क्षेत्र चुनाव लड़ने का प्रस्ताव

Congress had also given proposal to former BJP MLA Sattan to contest assembly constituency number four electio

भाजपा नेता सत्यनारायण सत्तन

भाजपा के पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत के कांग्रेस में जाने के बाद जाने माने कवि और पूर्व विधायक सत्यनारायण सत्तन ने खुलासा किया कि उन्हें भी कांग्रेस की तरफ से प्रस्ताव आया था। कमल नाथ ने अपने एक विश्वस्त के माध्यम से उनकेे पास प्रस्ताव भेजा था कि कांग्रेस उन्हें चार नंबर विधानसभा क्षेत्र से टिकट देने के लिए तैयार है। सत्तन ने कहा कि वे इस पर विचार करेंगे, हालांकि वे ये भी बोले कि जो स्वार्थ की राजनीति करते है, वे दल बदलते है।

पूर्व विधायक सत्तन की गिनती भी उन नेताअेां मेें होती है, जो पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज है। कई बार सत्तन पार्टी के खिलाफ विवादित बयानबाजी भी कर चुके है। तीन माह पहले उन्हेें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस मामले में भोपाल बुलाया था।

भंवर सिंह शेखावत के कांग्रेस में जाने के बाद सत्तन ने अमर उजाला में की गई चर्चा में कहा कि उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता उन्हे भी अपनी पार्टी में देखना चाहते है। उन्हें कमल नाथ ने रोकड़े नामक व्यक्ति के माध्यम से चार नंबर विधानसभा से टिकट देने का प्रस्ताव भेजा था। जिस पर सत्तन ने विचार करने की बात कही। सत्तन ने कहा कि 1952 से वे भाजपा का काम कर रहे है। पार्टी मेें कई बार उतार-चढ़ाव देखे। तब मैैने पार्टी नहीं छोड़ी तो अब क्यों छोडू।

नए लोगों को दो-तीन पद दिए जा रहे है

सत्तन ने कहा कि निर्णय लेने वाले पदाधिकारियों की राजनीतिक सोच है और तौर तरीका उन लोगों को पसंद नहीं आ रहा है जो जनसंघ के जमाने से पार्टी का काम कर रहे है। वे कुंठाग्रस्त हो रहे है। नए लोगों को प्रश्रय दिया जा रहा है।

एक व्यक्ति को दो-तीन पद दे रहे है। राज्य सभा में भी पहुंचा रहे है, पार्टी मेें भी जिम्मेदारी दे रहे है। पार्टी मेें अनुभव की पूजा होती हैै। अनुभव के आधार पर पद दिए जाते है। यदि पदासीन व्यकि्त श्रेय व प्रेय की राजनीति करने लग जाए तो संगठन को खतरा हो जाता है।

शेखावत का जाना दुखद

सत्तन ने कहा कि शेखावत पार्टी के पुराने नेता रहे है। वे जनसंघ के जमाने से जुड़े थे। उनके पिता ने भी पार्टी का काम किया है। स्थानीय स्तर पर उन्होंनेे कठिनाई महसूस की होगी। उनसे कुंठाग्रस्त होकर उन्होंने फैसला लिया गया। एक टिकट को लेकर  शेखावत का पार्टी  छोड़ा जाना दुखद है। उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा थी। वे भले ही कांग्रेस में चले गए, लेकिन भाषणों में कभी-कभी वे भाजपा शब्द का उल्लेख करेंगे।

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