Ganesh Chaturthi 2023 : श्रीगणेश की पूजा दूर्वा के बिना क्यों है अधूरी, जानिए विघ्नहर्ता की अति प्रिय दूर्वा चढ़ाने के विशेष नियम

हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक ‘गणेश चतुर्थी’ (Ganesh Chaturthi 2023) का पावन पर्व आज यानी 19 सितंबर 2023, मंगलवार से शुरू हो रहा है। 10 दिन तक चलने वाले इस उत्सव में गणपति बप्पा की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और ऋद्धि-सिद्धि का स्वामी कहा जाता है। इनका स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

धार्मिक मान्यता है कि घर में भगवान गणेश की स्थापना करने से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान गणेश जितनी जल्दी रुष्ट हो जाते हैं, उन्हें मनाना भी उतना ही आसान होता है। इसलिए गणपति जी की पूजा करते समय कुछ चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए। इन्हीं चीजों में से एक है ‘दूर्वा’ घास। जिसके बिना गणपति जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। आइए जानें आखिर क्यों भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाया जाता है और क्या है इसके पीछे की कथा और नियम-

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पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था। इस दैत्य के कोप से स्वर्ग और धरती पर त्राहि-त्राहि मची हुई थी। अनलासुर ऋषि-मुनियों और आम लोगों को जिंदा निगल जाता था। दैत्य से त्रस्त होकर देवराज इंद्र सहित सभी देवी-देवता और प्रमुख ऋषि-मुनि महादेव से प्रार्थना करने पहुंचे।

सभी ने शिवजी से प्रार्थना की कि वे अनलासुर के आतंक का नाश करें। शिवजी ने सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों की प्रार्थना सुनकर कहा कि अनलासुर का अंत केवल श्रीगणेश ही कर सकते हैं। जब श्रीगणेश ने अनलासुर को निगला तो उनके पेट में बहुत जलन होने लगी। कई प्रकार के उपाय करने के बाद भी गणेशजी के पेट की जलन शांत नहीं हो रही थी। तब कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठ बनाकर श्रीगणेश को खाने को दी। जब गणेशजी ने दूर्वा ग्रहण की तो उनके पेट की जलन शांत हो गई। तभी से श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई।

ज्योतिष- शास्त्र के अनुसार, जीवन में सुख व समृद्धि की प्राप्ति के लिए श्री गणेश को दूर्वा जरूर अर्पित की जानी चाहिए। दूर्वा एक प्रकार की घास है। जिसे किसी भी बगीचे में आसानी से उगाया जा सकता है।  भगवान श्रीगणेश को अर्पित की जाने वाली दूर्वा श्री गणेश को 3 या 5 गांठ वाली दूर्वा अर्पित की जाती है।

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शास्त्रों के अनुसार, गणपति जी को दूर्वा हमेशा चरणों में चढ़ानी चाहिए। दूर्वा चढ़ाने से पहले उसे साफ पानी से जरूर धोएं।

पूजा में हमेशा दूर्वा को जोड़ा बनाकर भगवान को चढ़ाएं। दूर्वा चढ़ाते समय गणेशजी के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

 भगवान गणेश को दूर्वा घास के 11 जोड़ों को चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है।

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