Ashadha Masik Shivratri 2023: शुभ मुहूर्त रात में भगवान शिव की पूजा का महत्व

 

 

Ashadha Masik Shivratri 2023: त्रिनेत्रधारी भगवान शंकर को भोलेनाथ कहा गया है, शिव मन के भोले हैं. कहते हैं जो सच्चे मन से एक लोटा जल शिवलिंग पर अर्पित कर दे तो महादेव उसके समस्त कष्ट हर लेते हैं. वैसे तो हर सोमवार शिव जी को समर्पित है लेकिन हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि महादेव को प्रसन्न करने के लिए उत्तम मानी गई है, इस तिथि के मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है.

शिव की प्रिय शिवरात्रि तिथि पर रात्रि में जागरण कर पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य प्राप्त होता है. आइए जानते हैं आषाढ़ माह की मासिक शिवरात्रि व्रत की डेट, मुहूर्त और पूजा विधि.

आषाढ़ मासिक शिवरात्रि 2023  (Ashadha Masik Shivratri 2023 )

आषाढ़ महीने की मासिक शिवरात्रि का व्रत 16 जून 2023 को रखा जाएगा. समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना बहुत शुभ फलदायी माना जाता है. इस तिथि पर शिव जी का विवाह हुआ था वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर पहली बार महादेव का शिवलिंग के रूप में प्राक्ट्य माना जाता है.

आषाढ़ मासिक शिवरात्रि 2023 मुहूर्त (Ashadha Masik Shivratri 2023 Muhurat)

पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 16 जून 2023 को सुबह 08 बजकर 39 मिनट पर होगा और इसकी समाप्ति 17 जून 2023 को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर पर होगी.

 

    • शिव पूजा का समय – 17 जून 2023, प्रात: 12.02 – प्रात: 12.42

 

रात्रि में क्यों होती है शिव पूजा (Shiv Puja at Night Significance)

चतुर्दशी तिथि पर रात्रि में शिव का विवाह हुआ था. शिव संहार के देवता है, इसलिए उन्हें रात्रि प्रिय है. रात्रि संहार काल की प्रतिनिधि है. जीव जो दिनभर कर्म करते रहते हैं और कर्म करने की जो जिज्ञासा रहती है वह रात्रि में समापन की ओर बढ़ जाती है. जानकारों के अनुसार उपवास से इन्द्रियों और मन पर नियंत्रण करने वाला व्यक्ति रात्रि में जागकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हो सकता है. ऐसे में शिव पूजा एकाग्रमन से रात्रि में करना आसान होती है.

ऐसे होती है मासिक शिवरात्रि की पूजा (Masik Shivratri puja vidhi)

शास्त्रों में शिव पूजा का समय सूर्यास्त के बाद उत्तम माना गया है, खासकर प्रदोष काल और रात्रि के चारों प्रहर में. मासिक शिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण कर चारों प्रहर की पूजा करने से भोलेनाथ बेहद प्रसन्न होते हैं. हर प्रहर 3-3 घंटे का होता है.

पहले प्रहर में शाम 06 बजे से 9 बजे तक शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें. दूसरे प्रहर में दही से अभिषेक करने पर धन समस्या दूर होती है, तीसरे प्रहर में घी से अभिषेक करने पर सुख-सौभाग्य मिलता है और चौथे प्रहर की पूजा शहद से करें, ये मोक्ष प्राप्ति के लिए उत्तम मानी गई है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि Denvapost.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

 

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