पहले क्या जरूरी, फैसला करें आप: 16 लाख की स्कूल की बाउंड्रीवॉल या उस स्कूल तक पहुंचने के लिए 10 लाख में बन जाने वाली सड़क

देनवा पोस्ट आज आपसे एक सवाल पूछना चाहता है, सवाल यह कि किसी सरकारी स्कूल की 16 लाख की बाउंड्रीवॉल बनना ज्यादा जरूरी है या 10 लाख में उस स्कूल तक पहुंचने के लिए सड़क बनना ज्यादा जरूरी है। शायद अधिकांश का जवाब सड़क बनना ज्यादा जरूरी है…होगा। हम भी ऐसा ही मानते हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर आप जैसे सुधि पाठको से यह सवाल हमें पूछना क्यों पड़ा? तो उसका जवाब है कि विकास कार्यों की जो प्राथमिकता तय करने की समझ आप और हम जैसे आम लोगों में है, वह समझ शायद जिम्मेदार विभाग और अधिकारियों के पास नहीं है। माखननगर में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। देनवा पोस्ट की आज की पड़ताल ऐसे ही जिम्मेदारों की समझ को लेकर है

हम विकास कार्य के विरोधी नहीं

खबर शुरू करने से पहले ही हम एक बात स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि देनवा पोस्ट विकास कार्य का विरोधी नहीं है। देनवा पोस्ट विकास कार्यों का पक्षधर है, लेकिन देनवा पोस्ट का यह मानना है ​कि इसकी प्राथमिकता तय होना चाहिए। यदि 1 से लेकर 5 तक विकास कार्य होने है और किसी कारण ये एक साथ नहीं हो सकते तो जिम्मेदारों को यह तय करना चाहिए कि सबसे ज्यादा और पहले किस चीज की जरूरत है और उस अनुसार ही विकास कार्य किए जाने चाहिए।

बाउंड्रीवॉल से ज्यादा सड़क क्यों जरूरी?

सिराली के जिस स्कूल में बाउंड्रीवॉल बनाई जाना है उसके एक ओर नहर है, मतलब स्कूल के सामने से कोई वाहनों की बहुत ज्यादा आवाजाही नहीं है। स्कूल में तारों की फेंसिंग पहले से ही है। वहीं नहर के पास से ही सिरवाड़ रोड से स्कूल जाने वाली सड़क सालों से नहीं बनी है। जिसके कारण करीब दो दर्जन घरों को खासकर बारिश के मौसम में आने जाने में दिक्कत होती है। सिराली में चक्की के ओर से एक सड़क स्कूल की ओर गई है, लेकिन वह काफी घूमकर स्कूल तक पहुंचती है।

यदि जिद स्कूल में निर्माण की ही थी तो कुठारिया क्यों नहीं

प्रशासन को स्कूल में ही काम कराना था, तो शासकीय प्राथमिक शाला कुठारिया में निर्माण कार्य क्यों नहीं कराया जा रहा है। जबकि यह स्कूल स्टेट हाईवे पर स्थित है, जहां से हर रोज हजारों वाहन तेज गति से दौड़ते हैं। कुल मिलाकर नगर परिषद के जिम्मेदारों ने बिना प्राथमिकी तय किए निर्माण कार्य की रूपरेखा बनाई है। जाहिर सी बात है जिम्मेदार गिनती 1, 2, 3, 4, 5 न पढ़कर 4, 3, 5, 1, 2 जैसी गिनती पढ़ रहे हैं।

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