
आदिवासी संगठनों ने यूसीसी को लेकर ज्ञापन सौंपा।
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मध्य प्रदेश के खरगोन में दलित एवं आदिवासी समाज के कई संगठनों के साथ ही जयस संगठन ने भी समान नागरिक संहिता के विरोध को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। आदिवासी संगठनों की मांग थी कि आदिवासी समाज देश का मालिक है, इसलिए उन पर नागरिकों के कानून लागू नहीं होते जिसके चलते उन्हें यूसीसी से अलग रखा जाए।
गौरतलब है कि देश में इन दिनों समान नागरिक संहिता कानून अर्थात यूसीसी की चर्चा लगातार जोरों पर है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के सभी बड़े नेता भी इसे लागू करने और इस पर सहमति बनाने के लिए कोशिश करते नजर आ रहे हैं। वहीं विपक्ष इस कानून का लगातार विरोध करता नजर आ रहा है। पिछले कुछ दिनों से मुस्लिम समुदाय के कुछ संगठन भी यूसीसी को लेकर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं तो अब आदिवासियों के कई संगठन भी यूसीसी के विरोध में ज्ञापन देकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।
खरगोन में शुक्रवार को कई आदिवासी संगठनों के पदाधिकारियों के साथ ही जयस (आदिवासी संगठन) ने मिलकर जिला कलेक्टर को समान नागरिक संहिता कानून लागू करने के विरोध में ज्ञापन सौंपा। जयस के साथ ही आदिवासी संगठनों ने मांग की है कि उन्हें यूसीसी कानून से अलग रखा जाए। क्योंकि समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले उनकी जो जमीनें हैं वे सिर्फ आदिवासी ही ले सकते थे, जो कि अब अंबानी और अडानी जैसे लोग भी खरीद सकते हैं। और आदिवासियों को जमीन विहीन कर सकते हैं। आदिवासी संगठनों के अनुसार यूसीसी लागू होने के चलते आदिवासियों की जो रूढ़ियों से चली आ रही परंपराएं हैं, न्यायिक व्यवस्थाएं हैं, और जो उनके रीति रिवाज हैं वह सभी खत्म हो जाएंगे। इससे आदिवासियों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। उनके अनुसार यूसीसी लागू होने पर देश में विवाह, विभाजन, गोद लेने, विरासत और उत्तराधिकार के संबंध में विभिन्न अद्वितीय प्रथागत कानून नष्ट होंगे। कॉमन सिविल कोड उन रीति- रिवाजों को कमजोर करेगा, जिन्हें कानून का बल दिया गया है। संगठनों के अनुसार आदिवासी समाज इस देश के का मालिक है और मालिक पर नागरिक होने संबंधी कानून लागू नहीं होते । इसलिए भी उन्हें यूसीसी कानून से अलग रखा जाए।
इधर ज्ञापन देने आए आदिवासी एकता परिषद के जिलाध्यक्ष सुभाष पटेल ने मीडिया से कहा कि समस्त सामाजिक संगठन के द्वारा यूसीसी के विरोध में हमने खरगोन कलेक्टर को ज्ञापन दिया है । जिलाध्यक्ष पटेल ने बताया कि यूसीसी अगर लागू होता है तो आदिवासियों को मिले सभी अधिकार जिनमे 244, पांचवीं अनुसूची यह सभी अधिकार कहीं ना कहीं खत्म हो जाएंगे। इसलिए आज हम लोगों ने यूसीसी के विरोध में आपत्ति दर्ज की है। इधर जयस के जिलाध्यक्ष गोलू खड़े ने बताया कि नागरिक समान संहिता लागू होने से आदिवासियों की जो न्यायिक व्यवस्था है, रुढ़ी प्रथा है उस पर प्रभाव बढ़ेगा। उन्होंने मांग की कि आदिवासी समाज को नागरिक समान संहिता कानून से अलग रखा जाना चाहिए।