इसरो ने अपने सूर्य के पहले मिशन आदित्य एल-1 को लांच कर दिया है। भारत के इस पहले सौर्य मिशन के माध्यम से इसरो सूर्य का अध्ययन करेगा। अंतरिक्ष में लगरांज पॉइंट पर पहुंचते ही आदित्य एल-1 कुल 24 घंटे सूर्य की गतिविधियों पर अध्ययन करेगा। इसरो के लिए आदित्य एल-1 का यह मिशन अत्यंत महत्वपूर्ण है। बहुत कम लोग यह जानते हैं कि इस मिशन से उज्जैन का नाम भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि आदित्य एल-1 की डिवाइस को डिजाइन करने वाले आफाक खान उज्जैन के ही रहने वाले हैं। उन्होंने ही इस डिवाइस को बनाने वाली सुटेलिस्कोप टीम को लीड किया है। वह इस टीम के लीड इंजीनियर थे। उनकी इस उपलब्धि से न सिर्फ उज्जैन, बल्कि प्रदेश का नाम देशभर मे गौरवांन्वित हुआ है।
सूरज को मिलने वाली ऊर्जा का अध्ययन करेगा आदित्य एल-1
आदित्य एल-1 के महत्वपूर्ण डिवाइस सूट का डिजाइन तैयार करने वाले आफाक खान ने अमर उजाला से की गई विशेष चर्चा में बताया कि यह डिवाइस एक टेलीस्कोप है, जो सूरज से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के साथ ही सूरज को मिलने वाली ऊर्जा का भी अध्ययन करेगा। आदित्य एल-1 सूरज के पास जाकर पता करेगा कि सूरज के अंदर एनर्जी कैसे प्रोड्यूस हो रही है। इसका क्या कारण है। कैसे बनती है। इस डिवाइस में एआई का इस्तेमाल किया है। आदित्य एल-1 का सूट पेलोड ‘कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इंजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं के साथ मौसम के बारे में जानकारी जुटाएगा। आफान ने बताया कि आयुका पुणे में स्थित एक राष्ट्रीय रिसर्च संस्थान है। इस संस्थान की रिसर्च टीम ने कड़ी मेहनत के बाद इसे बनाया है। आफाक ने बताया कि में इस रिसर्च में लीड इंजीनियर था। पूरे प्रोजेक्ट के लिए इसरो ने लगभग 300 करोड़ का प्रोजेक्ट दिया था।
सूरज का अध्ययन करने वाला पहला सेटेलाइट है आदित्य एल -1
आफाक खान ने बताया कि आदित्य एल-1 क्लाइमेट चेंज, मौसम में बदलाव, सौर्य तूफान समेत कई तरह की जानकारियां देगा। सूरज का अध्ययन करने वाला भारत का पहला सैटेलाइट है। आफान ने बताया कि मैंने इस प्रोजेक्ट पर 2014 से 2019 तक काम किया है। आफाक फिलहाल अमेरिका में नासा के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।
वर्षों की कड़ी मेहनत का परिणाम
आफाक के पिता आर यू खान ने बताया कि कई वर्षों की मेहनत के बाद ‘आदित्य एल-1 बनकर तैयार हुआ है। आफाक को शुरू से ही स्पेस के रिसर्च में रुचि थी। यही कारण है कि वह छोटी उम्र में ही यहां तक बता देता था कि आसमान में दिखने वाला तारा आखिर कौन सा है। आफाक ने 12वीं तक की पढ़ाई उज्जैन में पूरी की, इसके बाद भोपाल में NIT और पुणे में शोध कार्य के लिए चले गए थे। जहां पर उन्होंने कई वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद आदित्य एल-1 बनाने का कार्य किया है।
कुंभ में बनाया था प्लास्टिक के पाइप से टेलीस्कोप
सिंहस्थ महाकुंभ के दौरान आफाक ने सबसे पहले वर्ष 2004 में प्लास्टिक के पाइप से टेलिस्कोप बनाया था, जिसे सिंहस्थ महाकुंभ के दौरान लाखों लोगों ने देखा था और आफाक की सराहना भी की थी। इसके बाद आकाश वराह मिहिर शोधन संस्थान के माध्यम से आफाक ने अनेकों वर्कशॉप में हिस्सा लिया और टेलिस्कोप से मंगल, शनि, चन्द्र के दर्शन करने के अनेक आयोजन भी किए थे।
परिवार खुश, मिल रही बधाई
आफाक द्वारा आदित्य एल-1 की डिवाइस को डिजाइन करने की उपलब्धि पर उनका पूरा परिवार खुश है। शहर के जनप्रतिनिधियों से लेकर हर कोई आफाक के पिता आर यू खान और परिवार को इस उपलब्धि पर बधाई दे रहा है। लगातार मिल रही बधाई से पूरा परिवार खुश है क्योंकि उनका कहना है कि बेटे की इस उपलब्धि से उज्जैन शहर का नाम पूरे देश में गौरवांन्वित हुआ है।