आरटीओ और पुलिस की लचर कार्यप्रणाली के चलते ठीकरी नगर एवं आसपास के इलाकों में बिना नंबर प्लेट के सैकड़ों ट्रैक्टर दौड़ रहे हैं। कृषि कार्य के लिए खरीदे गए इन ट्रैक्टरों से अवैध कारोबार किया जा रहा है। कभी कभार खानापूर्ति के लिए पुलिस द्वारा इन ट्रैक्टरों की धड़पकड़ जरूर की जाती है। कुछ ट्रैक्टर-डंपर ईंट रेत एवं मिट्टी के कारोबार को संचालित कर रहे हैं। कुछ ही ट्रैक्टर हैं, जो खेती की जुताई और कृषि के अन्य कार्यों में लगे रहते हैं। बिना नंबर प्लेट क्रे ैक्टरों पर न तो पुलिस की नजर जाती है और न ही आरटीओ की।
थाने के सामने से गुजरते हैं ट्रैक्टर-डंपर
इसी तरह ठीकरी थानों के सामने से ईंट, गिट्टी एवं रेत आदि से भरे ट्रैक्टर एवं डंपर जिनमें नंबर प्लेट नहीं हैं वह हर रोज थाने के सामने से निकल जाते हैं। ऐसे ट्रैक्टरों एवं डंपरों के मालिक ट्रैक्टरों एवम डंपर में इसलिए नंबर नहीं डलवाते। क्योंकि अवैध कार्य करते पकड़े जाने पर बिना नंबर के ये पता नहीं चलता कि किसका ट्रैक्टर एवं डंपर है। कंपनी भले ही एक हो, लेकिन मामले को निपटाने के लिए पुलिस और आरटीओ को अच्छा मौका मिल जाता है।
फिटनेस भी नहीं
आरटीओ द्वारा ट्रैक्टर के लिए फिटनेस और परमिट जारी किए जाते हैं, लेकिन अधिकांश ट्रैक्टर-ट्रॉली मालिकों के पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है। वह बिना सर्टिफिकेट के अपने वाहन रोड पर दौड़ा रहे हैं। कोई कार्रवाई नहीं होने से उनके हौसले बुलंद हैं। इस वजह से विभाग को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है। सुरक्षा पदंड पर भी ये खरे नहीं उतर रहे हैं। इन वाहनों में बैक लाइट तक नहीं है। हेडलाइट भी खराब रहती हैं।
हादसे के बाद बच निकलने की गुंजाइश
दुर्घटनाएं करने पर भी बिना नंबर के ये ट्रैक्टर एवं डंपर बच निकलते हैं। इसका कारण आरटीओ और पुलिस की लचर कार्यप्रणाली है। यदि अधिकारी सक्रिय हो जाए तो शायद बिना नंबरों के ट्रैक्टरों एवं डंपरो पर अंकुश लग सकता है, लेकिन जिम्मेदार मात्र खानापूर्ति करते है। जबकि इनके नजरों में सब कुछ जानकारी होती है, लेकिन दाम करे सब काम की तर्ज पर ये भराशाही चल रही है।
हम लोग लगातार चेकिंग कर रहे हैं और चालानी कार्रवाई भी कर रहे है।
-विक्रम बामनिया, थाना प्रभारी ठीकरी