दीपक शर्मा / विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। मतदाता को रिझाने के लिए रैलियों का आयोजन किया जा रहा है। बीजेपी ने हाल ही में अपने विकास कार्यों की उपलब्धि गिनाने के लिए जन आशीर्वाद यात्रा निकाली। कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए जन आक्रोश रैली निकाल दी। अब इसमें एक नया अध्याय जुड़ा है, नाम है गोपाल आक्रोश रैली। आशीर्वाद और आक्रोश के बीच नर्मदापुरम जिले की सोहागपुर विधानसभा में गायों के संरक्षण को लेकर निकाली गई इस रैली ने कई राजनीतिक समीकरणों की ओर इशारा कर दिया है।
आंचलखेड़ा से शोभापुर तक निकाली गई रैली
सोहागपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके सेमरीहरचंद निवासी उमेश मित्तल ने 1 अक्टूबर को गोपाल आक्रोश रैली निकालकर सबको चौंका दिया। गौमाता आर्शीवाद—गोपाल आक्रोश रैली विधानसभा के ही आंचलखेड़ा गांव से शुरू होकर शोभापुर तक पहुंची। रैली में कुछ राजनीतिक तो कुछ गैर राजनीतिक चहरे थे। 25 गाड़ी और 1 हजार लोगों के काफिले के साथ निकाली गई इस रैली ने त्रिकोणीय मुकाबले की नींव रख दी है।
एमपी की राजनीति का केंद्र रही है गाय
गाय ऐसा मुद्दा है जो प्रदेश की राजनीति में कभी ठंडा नहीं पड़ा। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने गाय की दुर्दशा को मुद्दा बनाया। कांग्रेस 15महीने के लिए सत्ता में आई तो गौशालाओं का निर्माण कराया। सत्ता में बीजेपी की वापसी के साथ ही कांग्रेस पर गौशाला निर्माण को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप तक लग गए। अब इसी गाय के मुद्दे को उठाकर उमेश मित्तल ने चुनावी राजनीति का बिगुल बजा दिया है। रैली का जगह—जगह स्वागत भी किया गया।
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यह सरकार के खिलाफ गोपालों का आक्रोश है : मित्तल
रैली को संबोधित करते हुए उमेश मित्तल ने कहा कि यह सरकार के खिलाफ गोपाल का आक्रोश हैे जहां सरकार लाडली बहना जेसी योजनाओं करोड़ों खर्च कर रही है। वही गोमाता के नाम पर बस दिखावा है। इसलिए लाखों गाय रोड पर घूम रही है। इस यात्रा का मकसद लोगों को गायों की जो दुर्दशा हो रही उसके बारे जागृत करना और सरकार को गोपाल का आक्रोश दिखाना।