पौधरोपण घोटाला : गनेरा में 10 लाख के पौधे दे रहे छाया…पर इन्हें आम व्यक्ति नहीं देख पाएगा, इन्हें देखने के लिए सरपंच सचिव जैसी दिव्यदृष्टि चाहिए

Denvapost Exclusive: मध्य प्रदेश के मुखिया (मुख्यमंत्री) शिवराज सिंह चौहान जब हर दिन एक पौधा रोपने का अभियान छेड़े हुए हैं तो ऐसे में माखननगर जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली पंचायते पीछे कैसे रह सकती है. एक कदम आगे बढ़ते हुए यहाँ कि पंचायत ने अनोखे पौधे लगाए. इन पौधों को आप और हमारे जैसे सामान्य लोगों की आंखें नहीं देख पाएंगी, बल्कि इन्हें देखने के लिए दिव्य दृष्टि की जरूरत होती है जो सरपंच सचिव के पास ही है. देनवापोस्ट एक्सक्लुजीव में बात आज इन्हीं दिव्य पौधों की होगी.

माखननगर जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली गनेरा पंचायत में सितंबर 2022 से दिसंबर 2022 तक तीन महीनो में ऐसे ही दिव्य पौधे लगाए गए. इन्हें लगाने में थोड़ा बहुत नहीं बल्कि 10 लाख रूपये खर्च किये गए. जब हमें इन पौधों कि जानकारी लगी तो पहले तो मन नहीं मना कि ऐसे भी दिव्य पौधे होते हैं.. पर फिर सच्चाई जानने हम भी गनेरा पहुंच गए… स्पॉट पर जो मिला, उसे देखकर हमारे भी होश उड़ गए… बात झूठी नहीं थी… पौधे हकीकत में दिव्य ही थे… वरना भला ऐसे कैसे हो सकता है कि जिन पौधों को लगाने में कागजों पर 10 लाख रुपए का खर्चा बताया गया वो मौके पर हो ही न. कोई भी सरपंच सचिव इस तरह से मुख्यमंत्री के बड़े अभियान की मिट्टी पलीत थोड़ी ना करेगा… इसलिए हमने भी मान लिया कि दोष न तो पौधों का है… न ही पंचायत का… दरअसल ये पौधे ही दिव्य हैं… जिन्हें देखने के लिए इनके जैसी दिव्य आँखों कि जरूरत पड़ती है जो आपके हमारे पास नहीं है.

पौधे दिव्य थे इसलिए बिंल्डिंग मटेरियल सप्लायर ने उपलब्ध कराए, वरना नर्सरी से मिल जाते

ग्राम पंचायत को पौधरोपण में जो बिल लगाए है उससे तो यही साबित होता है कि पौधे उपलब्ध कराने वाला वेंडर बिंल्डिंग मटेरियल सप्लायर है। जबकि पौधे नर्सरी से मिलते है. पौधे दिव्य थे इसलिए बिंल्डिंग मटेरियल सप्लायर के बिल पंचायत ने लगाए, सामान्य पौधे होते तो नर्सरी का बिल लगाया जाता.

10 लाख खर्च कर दिए मौके पर 10 पौधे भी नही

गनेरा ग्राम पंचायत ने 4 जगहों पर पौधारोपण कराया था। लेकिन जब ग्रामीणों से पौधारोपण के बारे जानकारी ली गई तो उन्होने बताया कि मेन रोड पर ग्राम पंचायत ने कुछ पौधे लगाए गए थे। लेकिन नर्मदा किनारे कोई पौधे नही लगाए गए। पंचायत ने बकायदा दस लाख खर्च पौधारोपण कर दिए लेकिन मौके पर दस पौधे भी नहीं दिख रहे है।

पौधरोपण योजना कामधेनु गाय बनकर आई

पौधरोपण अभियान में पंचायत जनप्रतिनिधि एवं मनरेगा विभाग ने जमकर खर्च किया है. एक पौधें को लगाने में 200 से 300 रूपए खर्च किया। पौधों की खरीद में भी घटिया से घटिया स्तर का पौधा लगाया जो लगते ही सूखने लगे। लेकिन जनप्रतिनिधियों एवं कर्मचारियों इन्हे बचाने के नाम पर भी वारेन्यारे कर लिए। सूत्रो की मानें तो पंचायत में पौधरोपण योजना कामधेनु गाय की तरह आई. एक पौधें की खरीद पर 35 से 100 रूपए खर्च किए गए। इन पौधों को आवारा पशुओं से बचाने के नाम पर घेराव के लिए जाली पर करीब 150 रूपए का बजट पेश किया गया और राशी निकाल ली.

पौधे या तो दिव्य हैं या फिर इन्हें दिव्यता देने वाले जिम्मेदार

हमारे समाज में भ्रष्टाचार अब इतना सहज हो गया है कि कई मामलों में तो हमें यह शिष्टाचार के रूप में ही नजर आता है. ऐसे में संभवत: परंपरागत लेखनी से जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक न रेंगे. इसलिए देनवापोस्ट ने इस खबर के लिए दिव्य पौधे जैसे व्यंग का सहारा लिया. पंचायतों में कामों की मॉनिटरिंग करने वाली जिम्मेदार एजेंसियों के जिम्मेदार अफसरों को अब यह तय करना है कि यदि 10 लाख के यह पौधे दिव्य पौधे नहीं है.. तो इन्हें दिव्य बनाने वाले सरपंच सचिव पर कार्रवाई हो… नहीं तो यह मान लिया जाए कि इन जिम्मेदार अफसरों के पास भी दिव्य दृष्टि है जो सरपंच सचिव की तरह इन दिव्य पौधों को देख पा रही है.

जिम्मेदारों ने क्या कहां

ग्राम पंचायत सचिव जय सिंह यह कहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर लिया कि पौधे लगाए गए थे लेकिन सूख गए । अब हम क्या कर सकते है। जब गनेरा सरपंच कृष्णकुमार झा ( सरपंच संघ अध्यक्ष ) से फोन पर बात करनी चाही तो फोन पर उनसे संपर्क नही हो सका। जब इस संबंध में जनपद सीइओ संदीप डाबर से बात की तो वह भी चौक गए हालाकि उन्होने बताया आप जो इतने बड़े अमाउंट का पौधारोपण बता रहे हो अभी अपनी जनपद पंचायत में कहीं नही हुआ है में पोर्टल में देखने के बाद ही इसबारे कुछ कह सकता हूं।

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