
हादसे में बच्चों को खो चुके परिजनों में आक्रोश है।
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पुणे हिट एंड रन मामले में मृत सॉफ्टवेयर इंजीनियरों का अस्थि विसर्जन कर दिया गया है। परिजनों का कहना है कि उन्होंने जो खोया उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता। न्याय पाने के लिए वे अपनी लड़ाई जारी रखेगे। धन व बाहुबल के सामने आत्मबल उनका हथियार होगा।
दुर्घटना में मृत अश्वनी कोष्टा के पिता शक्ति नगर निवासी सुरेश कुमार कोष्टा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग में पूरी मामले की जांच होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट मामले की मॉनिटरिंग करेगा तभी मामले की निष्पक्ष जांच हो पाएगी। सुप्रीम कोर्ट इसके लिए हाईकोर्ट को निर्देशित कर सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी मामले की निष्पक्ष जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार से संपर्क करना चाहिए। घटना में मृत दोनों युवा इंजीनियर मध्य प्रदेश के निवासी थीं। मुख्यमंत्री को इस संबंध में संज्ञान लेकर अपने स्तर पर उचित कार्रवाई करना चाहिए।
गंभीर अपराध में उम्र की सीमा नहीं होनी चाहिए
कोष्टा का कहना है कि यह घटना किसी अन्य के साथ घटित नहीं हो। इसके लिए कानून में सुधार की आश्यकता है। जो अलग-अलग पब में जाकर शराब में हजारों रुपये खर्च करता है, कीमती गाड़ी चलाता है। उसे कैसे नाबालिग मान सकते हैं। गंभीर अपराध में उम्र की सीमा नहीं होनी चाहिए। ऐसी घटना किसी अन्य पिता के साथ घटित नहीं हो। इसलिए इस मामले में आरोपी को सख्त सजा मिलनी चाहिए। नाबालिग के साथ उनके माता-पिता भी दोषी है, जिन्होंने उसे कार चलाने की अनुमति दी और शराब पार्टी के लिए रुपये दिए।
पिता के जन्मदिन की कर रही थी तैयारी
उन्होंने बताया कि अश्वनी के कक्षा 10 तथा 12 में 99 प्रतिशत अंक आए थे। इसके बाद वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने पुणे चली गई थी। इंजीनियरिंग में भी उसके 90 प्रतिशत अंक आए थे। उज्जवल भविष्य के लिए वह सदैव मेहनत करती थी। पढ़ाई के कारण घूमने भी नहीं जाती थी। नौकरी लगने के बाद उसकी मेहनत सफल हुई और परंतु वह उसका आनंद नहीं ले पाई। उन्होंने बताया कि उनका जून में उनका जन्म दिवस है और सेवानिवृत्त भी हो रहे हैं। इसके लिए उनकी बेटी तैयारी कर रही थी और होटल भी बुक करने वाली थी।
मध्य प्रदेश में होनी चाहिए प्रकरण की सुनवाई
घटना में मृत उमरिया जिले के पाली निवासी अनीश उर्फ लकी के पिता ओम प्रकाश अवधेश का कहना है कि इस मामले की सुनवाई पुणे में नहीं होकर मध्य प्रदेश में होनी चाहिए। तभी हमें न्याय मिल सकता है। थाने में आरोपी के साथ अतिथि जैसा व्यवहार किया गया था। एक्सीडेंट करने वाले के पास लायसेंस नहीं था, इसलिए यह दुर्घटना नहीं बल्कि हत्या है। हम अपनी आखरी सांस तक न्याय के लिए लडाई जारी रखेगे। कानूनी लड़ीई के संबंध में घटना में मृत युवती के परिजनों के संबंध अभी तक बातचीत नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को प्रकरण मध्य प्रदेश में स्थानातंरित करवाए जाने के संबंध में प्रयास करने चाहिए। ऐसे मामलों में आरोपी के साथ उनके माता-पिता को भी सजा होना चाहिए। जो अन्य माता-पिता के लिए सबक बने।
लंदन जाने वाला था बेटा
उन्होंने बताया कि बेटा कुछ दिन पहले दुबई गया था उसके बाद पाली आया था। वह 14 मई को वापस पुणे लौटा था और 19 मई को घटना घटित हो गई। उनके कहा था कि वह पूरे परिवार के बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाएगा। वह उच्च शिक्षा के लिए लंदन जाने वाला था। मेरा प्रिटिंग प्रेस का कारोबार है। उसी से परिवार का पालन पोषण करते हुए बच्चों को शिक्षा प्रदान की। बड़े बेटे ने परिवार के लिए कई सपने देखे थे। उसकी मौत से उनके सपने के साथ हमारे सपने भी टूट गए। अब हमारा सहारा सिर्फ छोटा बेटा है।