Narmdapuram Gaurishah Baba Dargah नर्मदापुरम : कौमी एकता के लिए मिसाल बने संत रामजी बाबा मेला इस बार विवादों में घिर गया है। सबसे बड़ा विवाद चादर चढ़ाने को लेकर है। पिछले करीब 25 साल से मेला शुरू होने से पहले यहां रामजी बाबा समाधि स्थल से गौरीशाह दाता की दरगाह पर चादर पेश की जाती है। लाखों श्रद्धालु यहां रामजी बाबा समाधि स्थल पर दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
चादर चढ़ाने को लेकर विवाद कुछ समय से चला रहा था। एक सप्ताह पूर्व ही पूर्व नगर पालिक अध्यक्ष व भाजपा झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक अखिलेश खंडेलवाल ने यज्ञ किया था, तब उन्होंने रामजी बाबा व गौरीशाह बाबा की दोस्ती पर सवाल उठाते हुए कहा था कि दोनों का काल अलग है। ऐसे में दोस्ती संभव नहीं है। रामजीबाबा समाधि से गौरीशाह बाबा की दरगाह तक चादर चढ़ाना गलत परंपरा है।
वोटिंग के पहले रखा यह तर्क
22 फरवरी से रामजी बाबा मेला शुरू होने जा रहाहै। तैयारियों को लेकर नगर पालिका सभाकक्ष में मंगलवार को बैठक रखी गई, जिसमें चादर चढ़ाने का मामला भी उठा। सीएमओ नवनीत पांडेय, नपा अध्यक्ष नीतू यादव ने सभी की सहमति से वोटिंग कराने की बात कही। इसके लिए सभी पार्षद तैयार हो गये, लेकिन वोटिंग के ठीक पहले कुछ पार्षदों ने फिर से विरोध कर दिया।
पार्षद राहुल गौर ने कहा कि दरगाह के पत्थर पर होशंगशाह गौरी का नाम लिखा है, जो मुगल शासक था, जिसके नाम पर होशंगाबाद शहर था और 1400 ईसवी का कालखंड था। पार्षद गौर ने कहा कि रामजीबाबा का कालखंड 1600 ईसवी माना जाता है। ऐसे में दोनों के बीच में दोस्ती कैसे मानी जा सकती है।
22 पार्षद शामिल हुए वोटिंग प्रक्रिया में
नगर पालिका के अंतर्गत 33 वार्ड आते हैं। वोटिंग प्रक्रिया में 22 पार्षद शामिल हुए। इनमें से 19 वोट मान्य किए गये। 15 वोट चादर नहीं चढ़ाने के पक्ष में रहे, जबकि चार वोट ऐसे थे जो चादर चढ़ाने के पक्ष में थे। वार्ड की कांग्रेस पार्षद लीला सैनी ने वोट में लिखा कि यह हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है, इसलिए चादर पेश होना चाहिए।
नपा सीएमओ नवनीत पांडे ने बताया कि रामजीबाबा समाधि स्थल से दरगाह तक चादर चढ़ाने को लेकर वोटिंग कराई गई थी। अधिकांश पार्षद चादर चढ़ाने के पक्ष में नही हैं। चादर चढ़ाई जाएगी या नहीं, इस संबंध में अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।