ये सिर्फ नारे नहीं, बल्कि एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी द्वारा रखे गए
अपने बेटों और पोते-पोतियों के नाम है
Makhan nagar : किसी को संबोधन देने में नाम की भूमिका महत्वपूर्ण होती है कोई पीढ़ियों
से चले आ रहे नाम बच्चों को देता है तो कोई सुनने में अच्छे लगने वाले टाइटल तय करता है, लेकिन यदि कोई देशप्रेम और देश की समस्याओं, योजनाओं पर परिजनों के नाम रखे तो सुनने में अजीब सा लगता है। प्रदेश के नर्मदापुरम जिले से 23 किलोमीटर दूर राष्ट्रकवि पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मभूमि माखननगर में एक ऐसा भी परिवार है जहां पीढ़ियों से घर में पैदा होने वाले बच्चों के नाम देशप्रेम, आंदोलन, तत्कालीन समस्याओं, योजनाओं और जैन धर्म से संबंधित रखे जा रहे हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबूलाल डेरिया ने अपने राष्ट्रप्रेम व देश के प्रति चिंतन के चलते अपनी 8 संतानों व कुछ पोते-पोतियो के नाम इसी तर्ज पर रखे। वहीं अंत में अपनी मृत्यु से 2 साल पहले सन् 1970 में स्वयं का नाम भी बाबूलाल से बदलकर स्वराजानंद रख लिया, जिसका अर्थ है जिसने स्वराज का आनंद लिया हो।
समस्या और नियोजिता जैसे रखें पोतियों के नाम
बाबूलाल का देश के प्रति प्रेम ऐसा था कि उन्होंने अपनी लड़कियों के नाम समस्या और नियोजिता रख दिए। बाबूलाल के बेटे संगठन की बेटी ने 1960 में जन्म लिया। यह वह समय था जब देश कई समस्याओं से जूझ रहा था, जिससे आहत होकर बाबूलाल डेरिया ने अपनी पोती का नाम ही समस्या रख दिया। यही नहीं 1969 में संगठन की बेटी और बाबूलाल की दूसरी पोती ने जन्म लिया। इस समय देश के सामने जनसंख्या वृद्धि बड़ी समस्या थी। इसका एकमात्र उपाय था
परिवार नियोजन तो बाबूलाल ने अपनी पोती का नाम नियोजन रख दिया। हालांकि बाद में इसे बदलकर नियोजिता किया गया।
दूसरी और तीसरी पीढ़ी ने धर्म से संबंधित रखे नाम
बाबूलाल के बाद दूसरी और तीसरी पीढ़ियों ने अपनी संतानों के नाम धर्म पर आधारित रखें। परिवार के लोग बताते हैं कि जब हमारे इतने बड़े-बड़े नाम रखे गए तो बचपन में हमें अपने दोस्तों के सामने बड़ी शर्म आती थी, लेकिन आज जब हमें उन नामों की विशेषता समझ आती है तो हमें गर्व होता है कि हमारे इतने यूनिक और सेंसफुल नाम रखे गए हैं।दोनो पोतियों के नाम के कारण थोड़ी दिक्कतें भी हुई, लेकिन परिवार ने बाबूलाल जी की भावनाओं को समझा
और इसे सहष्र् रूप से स्वीकार भी किया।
स्वतंत्रता संग्राम सैनानी बाबूलाल (स्वराजानंद) डेरिया (जन्म : 02.07.1907, स्वर्गवास : 02.11.1972)
बेटी विद्या, जन्म 1932 (कारण- देश अशिक्षा के दौर से गुजर रहा था, समाधान था विद्या)
बेटा संगठन, जन्म 15.02.1934 निधन 24.08.1989 (कारण- आजादी एकता के
बलबूते पर मिल पाती)
बेटा सत्याग्रह, जन्म 16.12.1940 (कारण- सत्याग्रह आंदोलन से प्रेरित होकर)
बेटी अहिंसा, जन्म 05.11.1943, निधन 30.03.2015 (कारण- गांधीजी के आंदोलन
से प्रेरित होकर)
बेटा जयहिंद, जन्म 03.03.1945 (कारण- सुभाषचंद्र बोस के नारे से प्रेरित होकर)
बेटी मर्यादा, जन्म 02.02.1947 (कारण- गांधी जी ने हिंसा न कर मर्यादा
में स्वतंत्रता दिलाने की अपील की)
बेटी अपराजिता, जन्म 26.01.1950 (कारण- आजादी के बाद जन्म होने के कारण)
बेटी सर्वोदय, जन्म 28.05.1954 (कारण- विनोवा भावे के भूान सर्वोदय आंदोलन से प्रेरित होकर)
पोते व पोतियां…..
- संगठन के बच्चे:-
बेटी समस्या, जन्म 29.07.1960 (कारण- आजादी के बाद कई समस्या देशी, जिससे आहत होकर)
बेटा पुर्नगठन, जन्म 25.12.1956 (कारण- मध्यप्रदेश के पुर्नगठन के कारण)
बेटा नवनिर्माण, जन्म 10.02.1959 (कारण- प्रदेश के पुर्नगठन के बाद नए निर्माण की जरूरत थी)
बेटा स्वर्णबांड, जन्म 3.02.1963 (कारण- मोरारजी देसाई द्वारा शुरू की गई स्वर्णबांड योजना के कारण)
बेटी नियोजिता, जन्म 22.02.1969 (कारण- जनसंख्या वृद्धि बड़ी समस्या थी जिसका समाधान था परिवार नियोजन) - सत्याग्रह के बच्चे:-
बेटा वीतराग, जन्म 16.08.1974 (कारण- जैन धर्म से संबंधित)
बेटा विज्ञान, जन्म 31.01.1976 (कारण- देश में बढ़ते विज्ञान के कदम के कारण)
बेटा उपादान, जन्म 17.09.1980 (कारण- जैन धर्म से संबंधित)
बेटी प्रगति, जन्म 17.10.1983 (देश को हर मोड़ पर प्रगति की आवश्यकता महसूस हो रही थी) - जयहिन्द के बच्चे:-
बेटा विकल्प, जन्म 07.07.1972 (कारण- देश की दुर्दशा देखकर विकल्प तलाशना जरूरी था)
बेटा कायाकल्प, जन्म 06.08.1974 (कारण- विकल्प के बाद ही देश का कायाकल्प हो सकता था)
बेटी कल्पतरू, जन्म 14.07.1975 (कारण- जैन धर्म से संबंधित)
बेटी संकल्पी, जन्म 04.08.1977 (कारण- जैन धर्म से संबंधित)