Makhannagar : नर्मदापुरम जिले में खासकर माखननगर में मिलने वाली तवा की रेत किसी सोने से कम नहीं है। इस भूरे सोने को हासिल करने के लिए माफिया कुछ भी दाव पर लगाने को तैयार है। ऐसा नहीं होता तो क्या चुनावी साल में जहां हार जीत से मध्यप्रदेश की भविष्य की राजनीति की पटकथा लिखी जानी है, वहां रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन कर आने वाले चुनाव को भविष्य कर कोई क्यों दांव पर लगाता। पर कहा जाता है न…गंदा है पर धंधा है ये…। बस कुछ ऐसी ही इबारत दो से तीन दिनों के अंदर माखननगर में लिखी जानी है। जहां सिंगल नहीं…डबल भी नहीं…बल्कि ट्रिपल इंजन की सरकार है। उसके बावजूद स्थिति ऐसी बनी कि इस ट्रिपल इंजन की सरकार को ही पटारी इस रेत के खेल के कारण डगमगाने लगी है। माफिया इस ट्रिपल इंजन की सरकार को पटरी से उतारने आमादा है और किसी को कुछ फर्क ही नहीं पड़ रहा।
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माखननगर में है ट्रिपल इंजन की सरकार
सिंगल इंजन उसे कहते हैं जब प्रदेश में संबंधित पार्टी की सरकार हो। डबल इंजन का मतलब होता है राज्य और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार…और ट्रिपल इंजन का मतलब होता है नगर से लेकर केंद्र तक एक ही पार्टी की सरकार…माखननगर के मामले में यत्र..तत्र…सर्वत्र…एक ही पार्टी काबिज है तो हम यहां इसे ट्रिपल इंजन की सरकार कह सकते हैं। उसके बावजूद यहां खुलेआम रेत का खेल यह बताता है कि रेत माफिया इतना हावी है कि चुनावी साल तक में उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, कि इसका असर आने वाले दिनों में क्या होगा या क्या होने वाला है।
कल के बाद से कभी भी डम्फर के रोके जा सकते हैं पहिएं
माखननगर के कीरपुरा से रेत का परिवहन नगर में रहने वाले किसी भी व्यक्ति से छुपा नहीं है। सुबह—सुबह नगर की सड़कों से फर्राटे मारते भागते ये डम्फर कभी किसी को नहीं दिखे। खैर..कारण चाहे जो रहा हो, लेकिन अब यही डम्फर आने वाले दो तीन दिनों में जिम्मेदारों के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाले हैं। कीरपुरा के लोगों ने इस अवैध परिवहन के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। स्थानीय अधिकारियों को ज्ञापन देने के साथ कीरपुरा के लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि ये अवैध परिवहन नहीं रूका तो वे खुद अब आगे आकर इन डम्फरों के पहिए रोक देंगे।
चित आए या पट जिम्मेदारों की हरहाल में होगी किरकिरी
कीरपुरा से हो रहे रेत के अवैध उत्खनन को लेकर अब वह स्थिति आ गई है कि चित आए या पट दोनो ही स्थिति में जिम्मेदारों की किरकिरी होने वाली है। यदि कीरपुरा के लोग डम्फर रोकते हैं तो ग्रामीणों पर कार्रवाई का मतलब होगा कि इस अवैध खनन पर जिम्मेदारों की भी सहमति है। इससे से पूरा खेल उजागर होगा, क्योंकि ग्रामीणों का आरोप भी यही है। दूसरी स्थिति यह होगी कि ग्रामीण अपने तरीके से इसका विरोध करें और जिम्मेदार चुप बैठे रहें…लेकिन ऐसा संभव नहीं और देनवा पोस्ट भी इस बात को कतई पक्षधर नहीं कि कोई भी लायन आर्डर को अपने हाथ में ले, न ही देनवा पोस्ट इसके लिए किसी को भी प्रोत्साहित कर रहा है। बल्कि हमारा ये मानना है कि ऐसी स्थिति में जिम्मेदारों को सख्ती से निपटना चाहिए। लेकिन घूमफिरकर बात वहीं आ जाती है, सख्ती से निपटने का अर्थ यह हुूआ कि इस अवैध खनन में मौन स्वीकृति। क्योंकि ग्रामीण जो कर रहे हैं या करने की चेतावनी दे रहे है वह काम करने का दायित्व जिम्मेदारों का है, न कि ग्रामीणों का। जिले में वर्तमान में कोई भी खदान स्वीकृत नहीं है, इसका मतलब यह हुआ कि यहां से एक ट्राली रेत भी जा रही है तो वह अवैध ही है। मतलब…जिम्मेदारों की चुप्पी ने आज वो स्थिति ला दी है कि चित आए या पट…अब तो गुरू किरकिरी के लिए तैयार रहो। और आप सब इंतजार कीजिए और पढ़ते रहिए देनवा पोस्ट…क्योंकि हम आपको बताएंगे कि आगे…आगे…होता है क्यां..!