दीपकशर्मा : हर साल, आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 13 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन प्राकृतिक आपदाओं को रोकने और कम करने के क्षेत्र में हुई प्रगति को दर्शाता है। पिछले वर्षों में मौतों की संख्या में वृद्धि ने विश्व स्तर पर विभिन्न आपदा प्रबंधन संगठनों के लिए चिंता का विषय है। प्राकृतिक आपदाओं के परिणामस्वरूप व्यापक विनाश, संपार्श्विक क्षति और कई देशों में रहने वाले लोगों की जान चली गई है। अंतर्राष्ट्रीय संगठन कुछ शक्तिशाली निर्णय लेकर आपदाओं की संख्या को कम करने के लक्ष्य के साथ एक साथ आए हैं।
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मध्यप्रदेश में नर्मदा और इससे सटे इलाकों में भविष्य में भूकंप का नया सक्रिय जोन बनने की आशंका को देखते हुए ही तीन साल पहले पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन मौसम विज्ञान विभाग के राष्ट्रीय भूकंप केंद्र और खनिज मंत्रालय के अधीन काम करने वाले जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया दोनों ने नर्मदा भ्रंश (रिफ्ट) घाटी में भूगर्भीय घटनाओं की माइक्रोलेबल पर निगरानी तेज कर दी है। मध्यप्रदेश में भूकंप के संभावित खतरे को समय रहते पहचानने के लिए 7 स्थानों पर उपकरण भी लगाए गए हैं।
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अगर इतिहास की बात करे तो पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा नर्मदापुरम जिले की ही जमीन थर्राई है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया 2000 की रिपोर्ट बताती है कि 11 जिलों में भूकंप की गतिविधियां दर्ज की गई, इनमें सबसे ज्यादा भूकंप नर्मदापुरम यानी होशंगाबाद जिले में आए हैं। नर्मदापुरम के सोहागपुर में वर्ष 1995 में 2 मई, 8 मई और 20 मई को 1.1 से लेकर 3.8 तीव्रता के भूकंप के झटके देखे गए हैं। वही 19 जुलाई 1998 को इटारसी में 4.1 तीव्रता का भूकंप आ चुका है। इसी तरह 1969 में 4.2, 1996 में 2.7 से 4.4 तीव्रता तक की तीव्रता रिएक्टर पर दर्ज हुई है।
भूकंप के खतरों के हिसाब से जोन में बांटा क्षेत्र
भूकंप के खतरे या संवेदनशीलता के आधार पर चार अलग-अलग हिस्सों में बांटा है। इसे सिस्मो जोन कहा जाता है। जोन-2 जो सबसे कम सक्रीय या काम संवेदनशील इलाका होता है। इसके बाद जोन 3 है, जो मध्यम संवेदनशील मना जाता है। इन इलाकों में भूकंप का खतरा अपेक्षाकृत थोड़ा अधिक होता है। वहीं जोन 4 अधिक सक्रीय या संवेदनशील इलाकों में आता है। इनमें भूकंप का खतरा सबसे अधिक रहता है। वहीं जोन 5 में अत्यधिक सक्रिय या संवेदनशील हिस्से आते हैं।
जोन—2 में आते हैं भोपाल और इंदौर
सिस्मिक जोन—2 में इंदौर, ग्वालियर, अशोक नगर, भोपाल, आगर मालवा, उज्जैन, उमरिया, कटनी, ग्वालियर, गुना, श्योपुर, निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, शिवपुरी, भिंड, बुरहानपुर, मुरैना, पन्ना, बड़वानी, रीवा, रतलाम, सागर, देवास, शाजापुर, नीमच, दतिया, मंदसौर, छिंदवाड़ा, बैतूल, राजगढ़, बालाघाट, विदिशा, धार, रायसेन और दमोह जिले शामिल हैं।
ये जिले संवेदनशील
मध्य प्रदेश के अधिक संवेदनशील यानी जोन 3 में आने वाले जिले खंडवा, खरगोन, हरदा, नर्मदापुरम, सिवनी, नरसिंहपुर, जबलपुर, मंडला, डिंडोरी, अनूपपुर, उमरिया, शहडोल और सीधी, सिंगरौली है। ये सभी जिले नर्मदा घाटी के आसपास बसे हैं।
बढ़ाई जा रही है नेटवर्क डेंसिटी
भूकंप के संभावित खतरे को पहले से पहचानने के लिए नेटवर्क डेंसिटी को बढ़ाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत इंदौर, गुना, उमरिया, सिवनी, जबलपुर और छिंदवाड़ा सहित एक अन्य स्थान पर भूकंप मापने के यंत्र लगाए गए हैं।
जीएसआई के अनुसार वर्ष 2002 तक भूकंप की स्थिति
जिला : वर्ष : भूकंप की तीव्रता
जबलपुर : 1846, 22 मई 1997, 11 अक्टूबर 1997, 31 अक्टूबर 1993, 16 अक्टूबर 2000, 17 मई 1903, 12 जुलाई 1973 : 3.0 से लेकर 6.0 तक
छिंदवाड़ा : 15 जनवरी 1997, 30 मार्च 1998, 9 दिसंबर 1997, 18 अप्रैल 1987 : 2.0 से लेकर 4.9 तक
खंडवा : 14 मार्च 1938 और 18 नवंबर 1863 : 6.3
बड़वानी : 1863, 1938 और 11 नवंबर 1985 : 4.0 से लेकर 5.0 तक
इंदौर : 14 मार्च 1939 : 4.0
सीधी : 1930 : 6.5
मंडला : 6 जनवरी 1985 : 4.0
दमोह : 1846 : 4.0
बैतूल : 13 अगस्त 1975 : 4.1
सागर : डाटा अप्राप्त : डाटा अप्राप्त