Bhopal : मध्य प्रदेश में दो अगस्त से शुरू हो रहे मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण कार्य का असर धिकारियों- कर्मचारियों के तबादले पर पड़ने वाला हैं। क्योकि चुनाव आयोग की इजाजत के बिना अब तबादले नहीं हो सकेंगे। इस दायरे में प्रदेश के 70 हजार अधिकारियों- कर्मचारी आ रहे हैं। इसके साथ ही मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना की ओर से चुनाव आयोग को एक स्थान पर 3 साल से तैनात अधिकारियों को हटाने संबंधी निर्देश का पालन प्रतिवेदन भी दिया जाएगा। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने ताजा निर्देश जारी किए है।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने बताया कि 31 अगस्त तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और संशोधन के लिए आवेदन लिए जाएंगे। सेक्टर अधिकारी मतदाता सूची का वाचन करेंगे। इसमें जनवरी में हुए संक्षिप्त पुनरीक्षण में जिनके नाम काटे या जोड़े गए थे, उनकी जानकारी दी जाएगी। साथ ही उन आवासों का भौतिक सत्यापन भी किया जाएगा, जिनमें छह से अधिक मतदाता हैं।
4 अक्टूबर को वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन
4 अक्टूबर को वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन होगा। मतदाता सूची के कार्य मद्देनजर आयोग ने शासन को निर्देश दिए हैं कि इससे जुड़े किसी भी अधिकारी-कर्मचारी का तबादला न किया जाए। यदि उसे हटाया जाना आवश्यक है तो आयोग से पूर्व अनुमति ली जाए। इसमें 64 हजार 100 बूथ लेवल आफिसर सहित सेक्टर अधिकारी, रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी और कलेक्टर शामिल हैं
जून-जुलाई में कई विभागों में हुए तबादले
जानकारी के मुताबिक़ जून-जुलाई माह में कई शासकीय विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के तबादले हो चुके हैं। पांच अगस्त तक स्कूल शिक्षा विभाग के टीचर्स के स्थानान्तरण की मियाद हैं। कई अधिकारी अगस्त में उम्मीद लगाए बैठे थे कि उनका तबादला मनचाही जगह हो जाएगा। लेकिन अब ऐसे आवेदनों पर अब शासन सीधे निर्णय नहीं ले सकेगा, बल्कि चुनाव आयोग से अनुमति लेना अनिवार्य होगी।
