शिवराज सिंह चौहान
2018 में कांग्रेस की सरकार भले ही आई लेकिन भाजपा तब भी भोपाल संभाग की 25 में 16 सीटें जीत गई थी। बाद के उपचुनाव में एक सीट भाजपा की और बढ़ गई। कांग्रेस आठ ही रह गई। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने पिछली बार के कई चर्चित चेहरे बदल दिए हैं। नतीजे में कई जगह बागियों की भरमार है और भितरघात की कैंची चलनी शुरू हो गई है। जानकारों के मुताबिक, भाजपा भितरघात रोक पाई तो न केवल पुराना प्रदर्शन दोहरा सकती है बल्कि जीत का आंकड़ा बढ़ भी सकता है।
वीआईपी सीट : बुधनी, गोविंदपुरा से ज्यादा कड़ी भोजपुर की लड़ाई
बुधनी से मुख्यमंत्री शिवराज चौहान छठी बार मैदान में हैं। कांग्रेस नेे टीवी धारावाहिक रामायण के हनुमान विक्रम शर्मा मस्ताल को उतारा है। भोपाल के गोविंदपुरा से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर मैदान में हैं। यहां कांग्रेस ने युवा नेता रवींद्र साहू को टिकट दिया है। रायसेन जिले की भोजपुर सीट से पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा को पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल से कांटे की चुनौती मिल रही है।
भारी न पड़ जाए टिकट काटना
भाजपा ने विधायकों बासौदा से लीना संजय जैन, शमशाबाद से राजश्री सिंह, अष्टा से रघुनाथ सिंह मालवीय और सारंगपुर से कुंवरजी कोठार के टिकट काटे हैं। भोपाल दक्षिण-पश्चिम से पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता की जगह भगवान दास सबनानी को मौका दिया है। कई सीटों पर भितरघात के आसार हैं। भोपाल के हूजूर से पूर्व विधायक जितेंद्र डागा के मैदान से हटने से कांग्रेस ने राहत की सांस ली है। भोपाल मध्य भी कांग्रेस के कब्जे में है। यहां सिटिंग विधायक आरिफ मसूद और भाजपा के ध्रुव नारायण सिंह के बीच सीधी लड़ाई नजर आ रही है।
दो मंत्री भी मैदान में, उलझे
भोपाल की नरेला से चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और रायसेन की सांची से स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी मैदान में हैं। कायस्थ समाज के सारंग के सामने कांग्रेस ने मनोज शुक्ला को उतारा है। अहिरवार समाज के प्रभुराम चौधरी के सामने कांग्रेस ने अहिरवार समाज से ही जीसी गौतम को उतारा है। प्रभुराम 2018 में कांग्रेस से जीते थे। 2020 में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे और फिर जीते।
कांग्रेस की सबसे सुरक्षित सीट ही दांव पर
भोपाल उत्तर से छह बार के विधायक आरिफ अकील ने स्वास्थ्य कारणों से चुनाव न लड़कर बेटे आतिफ अकील को कांग्रेस का टिकट दिला दिया है। आरिफ के भाई आमिर अकील भी निर्दलीय डटे हैं। भाजपा ने पिछली बार मुस्लिम ही उतारा था, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। अब प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व महापौर आलोक शर्मा पर दांव लगाया है।
प्रमुख मुद्दे
- सड़क, बिजली और पानी जैसे मुद्दे कारगर नहीं हैं। लेकिन, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे गरम हैं।
- मुख्यमंत्री चौहान ने सीहोर जिले में प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी बीजासन देवी शक्तिपीठ सलकनपुर को देवीधाम व भोपाल के श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर में हनुमान महालोक बनाने की घोषणा कर दी है। इसका असर नजर आ रहा है।
- नगर निगमों, निकायों ने मुस्लिमों के नाम बने कई मुहल्लों-स्थानों के नाम बदले हैं। से ध्रुवीकरण की स्थिति है।
- भोपाल गैस कांड पीड़ितों को आयुष्मान कार्ड देने का एलान किया गया। लेकिन, तमाम लोगों के कार्ड नहीं बन पाए।
प्रोफाइल
- पांच जिले : भोपाल, सीहोर, विदिशा, रायसेन और राजगढ़।
- विधानसभा सीटें : 25 सीटें
- 2018 के चुनाव में : 16 भाजपा, 09 कांग्रेस
- वर्तमान में : 17 भाजपा, 8 कांग्रेस