जादुई नंबर का सवाल
भाजपा ने 2003, 2008 और 2013 में बड़े बहुमत से सरकारें बनाईं। लेकिन, 2018 में नजदीकी मुकाबला रहा। कांग्रेस को 114 और वोट ज्यादा लेकर भी भाजपा को 109 सीटें मिलीं। बहुमत के लिए जरूरी 116 सीटें कोई भी पार्टी हासिल नहीं कर पाईं। कांग्रेस की सरकार बनी। डेढ़ साल बाद कांग्रेस सरकार गिरी और भाजपा की शिवराज चौहान सरकार फिर आ गई। अब सवाल है कि क्या कांग्रेस इस बार यह जादुई नंबर हासिल कर पाएगी?
प्रमुख फैक्टर
- सत्ताविरोधी रुझान कई जगह सामने आया। भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी थी तो उधर, कांग्रेसी आक्रामक नजर आए।
- भाजपा का सीएम चेहरा सामने न रखना कई लोगों को पसंद नहीं आया। मतदाताओं कहते मिले कि एमपी के मन में मोदी का मतलब यह तो नहीं है कि मोदी एमपी के मुख्यमंत्री बनेंगे। कांग्रेस के सीएम प्रत्याशी से तुलना के लिए चेहरा तो होता।
- भाजपा की सबसे बड़ी उम्मीद लाडली बहना योजना ही नजर आई। महिलाएं भाजपा के साथ दिखीं। अन्य किसी मुद्दे में ऐसी अपील नहीं दिखी। महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत ज्यादा सामने आया है। भाजपा इसे अपने पक्ष में मान रही है।
- कर्मचारी पुरानी पेंशन के कांग्रेस वादे से प्रभावित दिखे। मुस्लिम मतदाताओं ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया।
- बागी प्रत्याशी एक दर्जन सीटों पर मुख्य लड़ाई में नजर आए।
ज्यादा मतदान…सत्तारूढ़ दल को लाभ
वर्ष 2003 से हर चुनाव में मत प्रतिशत बढ़ा है। 2018 के चुनाव को छोड़ हर बार इसका फायदा सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में गया। पिछले चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस को पांच सीटें ज्यादा मिलीं लेकिन वोट ज्यादा भाजपा को मिले थे। विश्लेषक बता रहे हैं कि इस बार सामान्य वोट बढ़ना तो कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है लेकिन यदि उनमें महिलाओं का वोट प्रतिशत बढ़ा तो इसका फायदा भाजपा के पक्ष में जाने का अनुमान है।