मंडला पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के बाद अज्ञात शव को दफना दिया। मृतक के परिजन एक दिन पहले संबंधित थाने में जानकारी देने पहुंचे थे। पुलिस कर्मियों ने अभ्रदता कर उन्हें भगा दिया था। पुलिस कार्रवाई के खिलाफ ग्रामीणजनों ने प्रदर्शन कर आक्रोश व्यक्त किया। पुलिस अधीक्षक ने घटना की जांच के निर्देश देते हुए एक प्रधान आरक्षक को निलंबित कर दिया है।
मंडला जिले के बीजाडांडी थानान्तर्गत कालपी क्षेत्र 15 अगस्त शाम जंगल में पुलिस को एक अज्ञात व्यक्ति की लाश फांसी के फंदे से लटकी हुई मिली थी। पुलिस ने अगले दिन पोस्टमॉर्टम के बाद लाश को अज्ञात मानकर दफना दिया था। परिजन सोशल मीडिया में मृतक की फोटो देखकर पूछताछ के लिए नारायणगंज थाने पहुंचे तो अभ्रदता कर उन्हें भगा दिया गया था।
पुलिस कार्यप्रणाली के खिलाफ विधायक डॉ अशोक मसकोले की नेतृत्व में ग्रामीणजनों द्वारा नारायणगंज थाने में विरोध प्रदर्शन किया गया। पुलिस अधीक्षक रजत सकलेचा व एसडीएम राजेन्द्र सिंह पहुंचे और उन्होने आक्रोशित जनता को शांत करने के बाद शव को निकलवाने के बाद परिजनों को सुपुर्द करते हुए कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
विधायक मसकोले का कहना है कि पुलिस ने मेडिको लीगर प्रोसीजर का पालन नहीं करते हुए शव को अज्ञात मानकर दफना दिया। नियमानुसार मृतक की फोटो आधार पर आसपास के थाने को सूचित किया जाना था। रेडियो मैसेज के माध्यम से जानकारी देते हुए शव को 24 से 48 घंटे तक प्रिजर्व करना था। पुलिस कर्मियों ने अंतिम संस्कार के करने के बाद अधिकारियों को इस संबंध में सूचित किया। पुलिस अधीक्षक रजत सकलेजा ने बताया कि एक प्रधान आरक्षक को निलंबित कर जांच के आदेश जारी किये गए हैं। जांच की जिम्मेदारी एसडीओपी स्तर के अधिकारी को सौंपी गई है।