एक समय शिक्षा की अलख जगाने वाला माखन नगर क्षेत्र में स्थित पंजराखुर्द गांव का प्राथमिक विद्यालय आज अतिक्रमण की मार झेल रहा है। कभी यहां बच्चों की पढ़ाई-लिखाई गूंजती थी, वहां अब अपने निजी कार्यों के लिए कब्जा जमा लिया है। स्कूल भवन में अब गोबर के उपले बनाए जा रहे हैं, लकड़ियां जमा की जा रही हैं और अन्य घरेलू काम किए जा रहे हैं।कभी चार कमरों वाले इस मिडिल विद्यालय में बच्चों की कक्षाएं लगती थीं, लेकिन सरकार की अनदेखी और प्रशासन की उदासीनता के चलते यह अब अतिक्रमण के आगोश में समा चुका है। स्थानीय लोगों के अनुसार, स्कूल में नामांकन शून्य हैं । हालांकि, इसी गांव से करीब 30 बच्चे अन्य स्कूल में पढ़ने जाते हैं। लेकिन अब ये स्कूल महज एक खंडहर बनकर रह गया है, जिस पर ग्रामीणों ने कब्जा जमा लिया है।शिक्षा से ज्यादा निजी इस्तेमाल
स्कूल परिसर में अब शिक्षा की जगह घरेलू काम किए जा रहे हैं। कही लकड़ियों का ढेर लगा रखा है तो कही उपले थाप रहा है। यह दृश्य न केवल सरकारी संपत्ति की दुर्दशा को दर्शाता है, बल्कि शिक्षा के प्रति प्रशासनिक लापरवाही को भी उजागर करता है।
गांव के लोगों का कहना है कि सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब बात शिक्षा से जुड़ी हो, तो प्रशासन को तुरंत कदम उठाने चाहिए। स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि शिक्षा विभाग और प्रशासन इस मामले पर संज्ञान ले और स्कूल को फिर से दुरुस्त कर बच्चों के लिए उपयोगी बनाए।वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी है।जन शिक्षक चंद्रशेखर मोरे ने denvapost को बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों को स्कूल में अतिक्रमण के बारे में अवगत करा दिया गया कि विगत आठ माह से स्कूल में अतिक्रमण हैं ।मामला मेरे संज्ञान में आया हैबीआरसी एस एस पटेल का कहना है कि मामला मेरे संज्ञान में आया है अतिक्रमण हटाने के लिए तहसीलदार से शिकायत की जाएगी।