नगर पालिका के करीब 1100 हितग्राहियों को काफी समय से तीसरी किस्त नहीं मिली है। जिसे लेकर वे भटक रहे। मंगलवार को वार्ड क्रं.28 में रहने वाले अनेक लोग जनसुनवाई में पहुंचे और शिकायत की। इधर, जनपद पंचायत व नगरीय निकाय में 85 हितग्राही ऐसे है जिन्होंने पहली किस्त तो निकाल ली लेकिन आवास नहीं बनाए। हालांकि बताया गया है कि ग्रामीण क्षेत्र के हितग्राहियों के लिए तहसीलदार की ओर से आरआरसी जारी की जा चुकी है। लेकिन अभी तक किसी के खिलाफ कुकी की कार्रवाई नहीं की जा सकी है।
जनपद पंचायत क्षेत्र में पांच साल के आंकड़ों के मुताबिक करीब 150 आवास आज तक अधूरे दर्ज हैं। पांच साल बाद भी आवास पूरे नहीं बन पाए है। जबकि इनदिनों प्रधानमंत्री जन मन आवास योजन के तहत 900 हितग्राही नवीन चयनित हो गए है। जिनके प्रयास शुरू कर दिए गए है। पुराने आवास को बनवाने के लिए ध्यान नहीं है।
दूसरी ओर करीब 70 हितग्राही ऐसे में जिन्होंने पहली किस्त निकाल ली, लेकिन आवास नहीं बनाए। यह आंकड़ा पांच साल का बताया गया है। किस्त के रूप में उन द्वारा करीब 3.50 लाख रुपए हड़प लिए गए है। जनपद पंचायत के मुताबिक नोटिस के बाद पांच लोगों ने बनवाना शुरू कर दिया है।
नहीं हुआ लक्ष्य पूरा
नगर पालिका को नगरीय क्षेत्र में 2023 तक 2505 आवास बनाकर लक्ष्य पूरा करना था लेकिन यह संभव नहीं हो सका। तीसरी किस्त को लेकर समस्या बनी हुई है। करीब 6 माह से ज्यादा समय से तीसरी किस्त हितग्राहियों के पास नहीं पहुंची है। करीब 1100 आवास तीसरी किस्त के अभाव में पूर्ण नहीं हो सके हैं। इधर, नगरीय क्षेत्र में भी 15 लोगों ने पहली किस्त निकालने के बाद आवास नहीं बनाए है।
सर्वे भी है बंद
कर्रा समेत अन्य वार्डो के हितग्राहियों ने बताया कि तीसरी किस्त नहीं मिली है। कई बार जनसुनवाई में भी आवेदन दिया गया है। जिससे उनके आवास पूरे नहीं हो पा रहे है। यहां बता दे कि करीब एक साल से नए पीएम आवास को लेकर सर्वे भी बंद है।
जिन लोगों ने आवास नहीं बनाए है और पहली किस्त निकाल ली है, तहसीलदार की ओर से उन लोगों के खिलाफ आरआरसी जारी है। उनमें से पांच लोगों ने आवास बनाना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत चयनित हुए 900 हितग्राहियों के खाते में सत्यापन के बाद राशि पहुंच रही है।
कुछ लोगों ने बनाए नहीं है, और कुछ लोगों ने उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया साथ ही बजट को लेकर समस्या बनी। इस कारण तीसरी किस्त रूकी है। इस कारण 1100 आवास अपूर्ण है। जिन्होंने पहली किस्त निकाल ली, आवास नहीं बनाए है। उन्हें नोटिस दिया गया है।
महाराजपुर और बारोल में भू अधिकार पट्टा नहीं होने से 112 प्रकरण हो गए निरस्त
इधर, जनपद पंचायत में सहरिया प्रोजेक्ट के तहत प्रधानमंत्री आवास निर्माण के लिए महाराजपुर और बारोल में स्वीकृत 112 प्रकरण तीन साल बाद भी लंबित बने है। वजह, यह रही कि जिनके नाम प्रकरण स्वीकृत किए गए, उनके नाम भू-अधिकार पट्टा नहीं है। ऐसे में इन प्रकरणों को बाद में निरस्त किया गया।