
कोर्ट ने चार साल की सुनाई सजा
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया गया था। आरोपियों की तरफ से तर्क दिया गया कि विदेश मंत्रालय ने ऐसे कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये है, जिससे प्रमाणित हो सके कि वह बांग्लादेश के निवासी है। वह भारत के निवासी है और उनकी गिरफ्तारी की सूचना भी पुलिस ने गुजरात निवासी उनके परिचित महिला को दी थी।
आरोपियों को उक्त सजा से दंडित किया
इधर, न्यायालय ने पाया कि आरोपी ने भारतीय नागरिक होने का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है। इसके अलावा उन्होंने गिरफ्तारी के दौरान स्वयं बांग्लादेश का निवासी होना स्वीकार किया था। न्यायालय ने प्रकरण की सुनवाई के दौरान पेश किये गये साक्ष्य व गवाहों के आधार पर दोनों आरोपियों को उक्त सजा से दंडित किया। अभियोजन की तरफ से अधिवक्ता प्रमोद कुमार पांडे ने पैरवी की।