आईआईटी में केंद्र का उद्घाटन।
यह केंद्र एक ऐसी परियोजना पर काम करेगा, जिसमें मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के लगभग 1,000 किलोमीटर के पूरे क्षेत्र की मैपिंग की जाएगी। इसके लिए, नर्मदा नदी क्षेत्र के 3-डी मॉडल के रूप में एक प्रोटोटाइप भी बनाया गया, ताकि नदी क्षेत्र की मैपिंग और इसके पर्यावरण के संरक्षण में विभिन्न जटिलताओं और चुनौतियों को दर्शाया जा सके। साथ ही, नर्मदा नदी क्षेत्र पर किए गए विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों को भी गणमान्य व्यक्तियों के समक्ष प्रदर्शित किया गया। इस अवसर पर, डॉ. कामत ने नर्मदा नदी क्षेत्र के अध्ययन और मध्य प्रदेश राज्य में जल प्रबंधन पर एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए प्रोफेसर मनीष गोयल के नेतृत्व में आईआईटी इंदौर के संकाय सदस्यों प्रोफेसर प्रीति शर्मा, प्रोफेसर किरण बाला और प्रोफेसर मयूर जैन की टीम के प्रयासों की सराहना की।
समाज की मदद करने वाली परियोजना
वहीं, डॉ. सिवन ने समाज की बेहतरी के लिए इस परियोजना पर काम करने के महत्व पर प्रकाश डाला और इस पर कहा कि इस तरह की परियोजनाएं पर्यावरण पुनरुद्धार के साथ-साथ नदी संबंधी वाणिज्यिक गतिविधियों के संदर्भ में समाज को सीधे तौर पर मदद करेंगी। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर विनोद तारे, जिन्होंने ‘नमामि गंगे’ परियोजना की शुरुआत की, ने एकीकृत नदी क्षेत्र प्रबंधन के महत्व और नर्मदा नदी की स्वच्छता को संरक्षित करने के लिए स्थायी पद्धतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इसके साथ, उन्होंने नीतियाँ बनाने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इस दौरान, प्रोफेसर जोशी ने कहा, हम नर्मदा नदी क्षेत्र से संबंधित ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिए सहयोगात्मक परिवेश को बढ़ावा देने हेतु विशेषज्ञों, पेशेवरों और शिक्षाविदों को एक साथ लाएंगे। हमें इस महत्वपूर्ण जल संसाधन को संरक्षित करने के लिए एकीकृत प्रबंधन दृष्टिकोण और स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है।
नर्मदा को संरक्षित करने का प्रयास
संस्थान में नर्मदा नदी क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण समस्याओं पर प्रकाश डालने तथा विशेषज्ञ व्याख्यानों और सहयोगात्मक चर्चाओं के माध्यम से संभावित समाधानों पर चर्चा करने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में अलीराजपुर जिले के विशेष संदर्भ के साथ नर्मदा नदी क्षेत्र में सामुदायिक पारिस्थितिकी तंत्र का पुनःस्थापन, नर्मदा का जीर्णोद्धार करने के लिए सामाजिक नेतृत्व में अभियान, नर्मदा नदी क्षेत्र में वन भूमि का महत्व, जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और भू-जल पुनरुद्धार गतिविधियां तथा नर्मदा नदी क्षेत्र में पर्यावरण संबंधी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया गया। आईआईटी इंदौर में परियोजना का नेतृत्व कर रहे संकाय सदस्य प्रोफेसर मनीष गोयल ने कहा, सार्वजनिक चर्चा ने सभी प्रतिभागियों को अपने विचार साझा करने और नर्मदा नदी क्षेत्र के स्थायी प्रबंधन के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करने में सहयोग करने के लिए एक मंच प्रदान किया है।