इंदौर : मां नर्मदा के संरक्षण संवर्धन और पर्यावरण रक्षा के लिए 40 वर्षीय संत दादा गुरु ने 37 महीने से केवल जल आहार का उपवास कर रखा है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर नर्मदा परिक्रमा की शुरुआत ओंकारेश्वर के गोमुख घाट से पैदल से शुरू की है। 3800 किलोमीटर की यात्रा अगले पांच महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
दादा गुरु ने 17 अक्टूबर 2020 से पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन संकल्प के साथ ही अन्न त्याग दिया था। तब से अब तक दादा गुरु केवल नर्मदा का जल की आहार के रूप में ले रहे हैं। ठंड, बारिश, गर्मी हर मौसम में केवल एक ही वस्त्र धारण करते हैं। नर्मदा परिक्रमा के दौरान हुए सिर्फ लंगोट में नजर आ रहे हैं। अपने मलंग अंदाज के कारण वह हमेशा चर्चाओं में रहते हैं। जंगलों में यात्रा के दौरान पशु-पक्षियों के प्रति उनका प्रेम झलकता है। परिक्रमा के पहले ही दिन भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी दादा गुरु के साथ पैदल चले और गणपति घाट पर परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की सेवा की व भोजन और भजन भी अपने अंदाज में कराया। यात्रा के पहले दिन खेड़ीघाट ओम श्री मां आश्रम पर विश्राम किया गया। यहां पर आश्रम के संरक्षक पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह एवं व्यवस्थापक नरेंद्र सिंह ने बताया कि दादा गुरु और नर्मदा परिक्रमावासियों की सेवा करने में आनंद की अनुभूति होती है। एकादशी से ही परिक्रमा शुरू हो जाती है और रोजाना यहां पर सैकड़ो भक्त विश्राम करते हैं और उनकी जितनी सेवा बनती है, वह हम करते हैं।
रोजाना 20 से 25 किलोमीटर चलेगा 250 से 300 भक्तों का जत्था
इस विशाल यात्रा में तकरीबन 150 से 160 दिन का समय लगना है। इसके लिए 20 से 25 किमी रोजाना श्रद्धालु दादागुरु के साथ पैदल चलेंगे और देवस्थान या आश्रम पर रुकेंगे। जहां पर दादागुरु के अनुयायी परिक्रमावासियों को भोजन एवं रहने, ठहरने की व्यवस्ताएं देखेंगे, इसके लिए 100 से ज्यादा सेवादार समय-समय पर अपनी सेवाएं देने पहुंचेंगे। तकरीबन 3800 किमी की इस यात्रा में पांच महीने का
समय लगेगा।
13 से लेकर 90 साल तक के अनुयायी निकल पड़े पैदल यात्रा पर
3800 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा में 13 वर्ष की श्री कृष्णा बालक से लेकर 90 वर्ष की वृद्ध महिला भी शामिल है, तकरीबन 300 श्रद्धालु नर्मदा परिक्रमा के जत्थे में दादा गुरु के साथ रहेंगे। इस इस नर्मदा परिक्रमा की सबसे खास बात यह है कि इसमें हर आयु वर्ग की महिला*पुरुष बच्चे और कुछ पति-पत्नी भी यात्रा में शामिल रहेंगे। श्रद्धालु कमल सिंह डाबी ने बताया कि समय-समय पर सैकड़ो की संख्या में सेवादार यात्रा के सहभागी बनते हैं और अपनी अपनी सेवाएं परिक्रमा वासियों के लिए देंगे।