![IIT INDORE : पेट के रोग में की महत्वपूर्ण खोज, अल्जाइमर पैदा करने वाले बैक्टीरिया की भूमिका तलाशी iit indore investigated Stomach bacteria can cause Alzheimer’s Disease](https://i0.wp.com/staticimg.amarujala.com/assets/images/2024/01/15/khaja-karana-val-tama_1705312070.jpeg?resize=414%2C233&ssl=1)
खोज करने वाली टीम।
ऐसा संभव है कि गट माइक्रोबियल स्राव सबसे लंबी नसों में से एक के माध्यम से मस्तिष्क में प्रवेश कर सकते हैं, जो आंत को मस्तिष्क से जोड़ते हैं और न्यूरो-संबंधी बीमारियों को बढ़ने में मदद करते हैं और आगे जाकर, ये गट-ब्रेन एक्सिस को बदलते हैं। वहीं, गट-ब्रेन एक्सिस (जीबीए) में सेंट्रल और एंटरिक नर्वस सिस्टम के बीच बायडायरेक्शनल कम्युनिकेशन होता है, जो मस्तिष्क के भावनात्मक और संज्ञानात्मक केंद्रों को पेरिफेरल इंटेस्टाइन फंक्शन से लिंक करता है। यह अध्ययन जर्नल विरुलेंस में प्रकाशित हुआ था और इस शोध का नेतृत्व आईआईटी इंदौर में बायोसाइंसेज और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हेम चंद्र झा और इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉ. अजय कुमार जैन ने किया है।
इस समूह ने अल्जाइमर रोग और सिग्नल ट्रांसड्यूसर और ट्रांसक्रिप्शन 3 (STAT3) के एक्टिवेटर से जुड़े न्यूरोपैथोलॉजी में मोलेकुलर से संबंधित खास जानकारी का पता लगाया, जो एच. पाइलोरी सेक्रेटोम के कारण होने वाली न्यूरोइन्फ्लेमेशन का माध्यम बनता है। STAT3 एक ऐसा ट्रांसक्रिप्शन कारक है जो मनुष्यों में STAT3 जीन द्वारा एन्कोड होता है। अध्ययन के अनुसार, यह पाया गया है कि एच. पाइलोरी संक्रमण आंत में सूजन को बढ़ाता है और STAT3 और इसके डाउनस्ट्रीम अणुओं की गतिविधि को बदल देता है। यह सूजन और अल्जाइमर रोग से जुड़ी विशिष्टता के लिए एक ट्रांसक्रिप्शनल रेगुलेटर के रूप में कार्य कर सकता है, इस प्रकार अल्जाइमर रोग से संबंधित न्यूरोडीजेनेरेशन से जुड़े आणविक संकेत दे सकता है।
इस पर, डॉ. हेम चंद्र झा ने कहा, हमारी टीम ने ब्रेन फिजियोलॉजी पर रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी (एएमआर) एच. पाइलोरी स्ट्रेन के प्रभाव का आकलन किया। अब हमारे पास पेट के बैक्टीरिया को न्यूरोलॉजिकल स्थितियों से जोड़ने वाला एक संभावित तंत्र है। यह अध्ययन पहले के एच. पाइलोरी संक्रमण के साथ-साथ न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं वाले रोगियों के उपचार को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। साथ ही, STAT3 को रोकना न्यूरोइन्फ्लेमेशन और अल्ज़ाइमर रोग से जुड़ी रोग स्थितियों से बचाव के लिए एक संभावित रणनीति के रूप में भी उभरता है।