E-fir : विधि आयोग की सिफारिश, चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाए ई-एफआईआर पंजीकरण

Law Commission recommendation e FIR registration should started in phased manner

सांकेतिक तस्वीर।

तकनीकी विकास और संचार साधनों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए विधि आयोग ने देश में चरणबद्ध तरीके से ई-एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देने का सुझाव दिया है। आयोग ने कहा है कि इसकी शुरुआत तीन साल तक की कैद की सजा वाले अपराधों से की जा सकती है। आयोग ने इन सभी ई-एफआईआर को वेबसाइट से लिंक कर संबंधित अदालतों को भेजने का सुझाव भी दिया है। कानून मंत्रालय को सौंपी अपनी 282वीं रिपोर्ट में आयोग ने डिजिटल इंडिया मिशन और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना की तर्ज पर विधि आयोग ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 154 के अनुसार सभी संज्ञेय अपराधों के लिए जहां आरोपी ज्ञात नहीं हैं, ई-एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देने की सिफारिश की है।

केंद्रीकृत राष्ट्रीय पोर्टल बनाने का सिफारिश

रिपोर्ट के मुताबिक, अगर यह पाया जाता है कि प्रस्तावित प्रणाली वास्तव में प्रभावी ढंग से काम कर रही है तो इसके दायरे को बाद के संशोधनों के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है। आयोग का विचार है कि ई-एफआईआर के पंजीकरण की सुविधा के लिए एक केंद्रीकृत राष्ट्रीय पोर्टल बनाया जाए। ई-एफआईआर के पंजीकरण को सक्षम करने से एफआईआर पंजीकरण में देरी की लंबे समय से चली आ रही समस्या से निपटा जा सकेगा।

तीन नए कानूनी बिल होंगे पेश

मानसून सत्र के दौरान, गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम (ईए) को हटाने के लिए तीन नए बिल पेश किया था। शाह ने संसद में कहा था कि ब्रिटिश कालीन कानूनों की जगह अब भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक अमल में लाए जाएंगे।

Print Friendly, PDF & Email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!