Mahakal:दर्शन शुल्क के विरोध के बीच महापौर बोले- महाकाल का टूरिज्म रेवेन्यू प्रदेश के लिए जरूरी

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कार्यक्रम को संबोधित करते महापौर भार्गव

इंदौर शहर महाकाल (mahakaleshwar jyotirlinga) और ओंकारेश्वर (omkareshwar) के बीच बसा है। दोनों ही तीर्थ स्थल देशभर के श्रद्धालुओं की आस्था का मुख्य केंद्र हैं। यहां से आने वाला टूरिज्म रेवेन्यू प्रदेश सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह बात इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इंदौर में आयोजित यू 20 समिट में कही। उन्होंने देशभर से आए महापौर और अधिकारियों के सामने टूरिज्म पर कई प्रमुख बातें बताई। उन्होंने कहा कि इंदौर ने देश में कई आदर्श स्थापित किए हैं। सिर्फ स्वच्छता से मिली ब्रांडिंग पर ही इंदौर ने कई फायदे जुटाए हैं। इस ब्रांडिंग ने इंदौर को कई विदेशी निवेशक, उद्योग, विश्वविद्यालय और तमाम सुविधाएं दी हैं। इसकी वजह से दुनियाभर के लोग इंदौर की तरफ आकर्षित हुए हैं। इसके बाद उन्होंने यह भी कहा कि इंदौर शहर ओंकारेश्वर और महाकाल के बीच में बसा हुआ है। हम टूरिज्म पर भी पूरा ध्यान दे रहे हैं। महाकाल और ओंकारेश्वर से मिलने वाला टूरिज्म रेवेन्यू प्रदेश के विकास के लिए बेहद जरूरी है।

भस्मारती एक्सप्रेस की होगी शुरुआत 

उज्जैन नगर निगम ने भस्मारती एक्सप्रेस शुरू करने की तैयारी है। जो श्रद्धालुओं को भस्मारती के समय अनुसार इंदौर से लेकर उज्जैन जाएगी और वापस उन्हें इंदौर लाकर छोड़ेगी। उज्जैन के मेयर मुकेश टटवाल ने चर्चा में भस्मारती एक्सप्रेस के बारे में जानकारी दी। इसे लेकर उनकी इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव से भी बात हो चुकी है। उन्होंने कहा कि बाबा महाकालेश्वर के दर्शन करने के लिए प्रतिदिन काफी संख्या में इंदौर से श्रद्धालु आते हैं। जो इंदौर में ही ठहरते है और विशेषकर भस्मारती के लिए ही आते हैं। उनकी सुविधा के लिए एक भस्मारती एक्सप्रेस उज्जैन से इंदौर के बीच में चलाने वाले हैं। भस्मारती एक्सप्रेस की विशेषता ये होगी की ये भस्मारती के समय से चलेगी और सीधे भस्मारती द्वार तक लेकर जाएगी। भस्मारती के बाद वापस यात्रियों को इंदौर लाकर छोड़ेगी। इसकी हमने पूरी योजना बना ली है। इलेक्ट्रिक बस के रूप में ये भस्मारती एक्सप्रेस होगी और संभवत: अगले महीने तक हम इसका संचालन शुरू कर देंगे। इसका किराया अभी निर्धारित नहीं किया है लेकिन इसका किराया भी न्यूनतम रहेगा और ये पूर्णत: सुविधाजनक रहेगी। टिकट की बुकिंग ऑनलाइन होगी। शुरुआत में एक बस रहेगी। फिर आवश्यकतानुसार बसों की संख्या बढ़ाते जाएंगे।

दर्शन शुल्क का क्यों हो रहा विरोध

महाकाल में लगने वाले दर्शन शुल्क का लंबे समय से विरोध चल रहा है। कई श्रद्धालु इस पर आपत्ति दर्ज कर चुके हैं और विरोध के कई वीडियो तक सोशल मीडिया पर आ चुके हैं। श्रद्धालु वहां की अव्यवस्थाओं पर भी नाराज हैं। शुल्क देने के बावजूद कई घंटों तक धूप में खड़े रहना और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी न होना प्रशासन के इंतजाम पर सवाल उठाता है।

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