Yoga Shakti:ऑक्सीजन के बिना आधे घंटे तक जीवित रहे रिटायर्ड साइंटिस्ट, चौंक गए डॉक्टर

 

international yoga day 2023 Retired scientist survived for half an hour without oxygen

लाइव डेमो देते साइंटिस्ट

 

किसी को दो से तीन मिनट ऑक्सीजन न मिले तो उसकी मृत्यु हो जाती है और करीब छह मिनट में ब्रेन डेड हो जाता है, लेकिन आरआर कैट से रिटायर्ड 71 वर्षीय साइंटिस्ट वेदप्रकाश गुप्ता का दावा है कि वे आधा घंटा बिना ऑक्सीजन के रह सकते हैं। अपना दावा साबित करने के लिए उन्होंने मंगलवार शाम अभिनव कला समाज में लाइव डेमो दिया। गुप्ता ने बताया, डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए 25 साल पहले मेडिटेशन और योग करने लगा। मैंने योग को विज्ञान में कन्वर्ट करना शुरू किया। वेदांत व श्रीमद् भगवद् गीता पढ़ी। इनमें विज्ञान है, जिसे ऋषि-मुनियों ने खोजा था। इस तरह न्यूरो साइंस और वेदांत को मिलाकर योग विज्ञान की खोज की। इसके अन्तर्गत बनाए उपकरण ब्रीवो मीटर व डब्ल्यू बीसी मॉनिटर है। ब्रीबो ध्यान को मोबाइल स्क्रीन पर रेकॉर्ड कर सकते हैं। डब्ल्यू बीसी मॉनिटर से भी ध्यान को रेकॉर्ड किया जाता है।

ध्यान के जरिए पैदा होती है ऑक्सीजन

 

अभिनव कला समाज में मीडियाकर्मियों से चर्चा में वेदप्रकाश गुप्ता ने कहा, जब मैं समाधि में चला जाता हूं तो मेरे ब्रेन में ध्यान के जरिए ऑक्सीजन पैदा होती है और मुझे बाहरी ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ती। मैंने नाइट्रोजन चैंबर बनाया है। यह सिम्पल बॉक्स है, जिसमें समाधि के दौरान नाइट्रोजन भर देते हैं। इसमें ऑक्सीजन नहीं है, इसे साबित करने के लिए ऑक्सीजन मॉनिटर लगाया है। इसमें गुप्ता आधा घंटा रहे। इस दौरान उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल और हार्ट रेड सामान्य रहा। इस दौरान वहां मौजूद वैज्ञानिक एवं डॉक्टर ने इनके दावों की पुष्टि की कि बाहर से ऑक्सीजन न मिलने पर भी उनका शरीर सामान्य रूप से कार्य कर रहा है।

उन्होंने यह भी कहा

 

कल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस international yoga day 2023 है और इस दिन पूरे विश्व में करोड़ों लोग योगासन और प्राणायाम करेंगे। मगर योग का एक दूसरा पहलू भी है जो हजारों वर्ष पहले विलुप्त हो गया था। इसी योग को करके प्राचीनकाल में ऋषि हजारों वर्ष जीवित रहते थे और कई आध्यात्मिक शक्तियां प्राप्त करते थे। स्वामी विवेकानंदजी ने अमेरिका जाकर जिस योग का प्रचार किया और आध्यात्मिक ज्ञान को पश्चिम तक पहुंचाया वह योग भी यही था। आज मैं इसी योग की शक्ति का आपसे परिचय कर रहा हूं। प्रचलित योग सिर्फ 100-125 वर्ष पुराना है। जबकि यह योग प्राचीनकाल से चला आ रहा है और पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने योग की शुरुआत की इसलिए भगवान शिव का एक नाम ‘आदि योगी’ भी है।

प्रचलित योग का कोई आधार नहीं है, इस बात का प्रमाण यह है कि प्रचलित योग करने के लिए कोई प्राचीन और प्रमाणित पुस्तक नहीं है। योग साहित्य के अनुसार प्रचलित योग, करीब हजार वर्ष पुराने ‘हठ योग’ से निकला है, जिनका श्रेय स्वामी गोरक्षनाथ को जाता है। ‘हठ योग’ का मतलब बलपूर्वक योग है, जिसके अन्तर्गत बहुत कठिन शरीर की मुद्राओं में आसान लगाया जाता था। 25 वर्ष की गहन योग साधना के बाद मैं योग की अंतिम समाधि तक पहुंचा हूं, जिसे पतांजलि योग सूत्र में र्निबीज असम्प्रज्ञात समाधि कहा गया है। इसी समाधि से मनुष्य में योग की इतनी शक्ति आ जाती है कि उसे जीने के लिए बाहर की ऑक्सीजन की आवश्यकता ही नहीं पड़ती जैसा कि इस प्रयोग में दिखाया गया। 

 

इस प्रकार मैंने ‘पतांजलि योग सूत्र’ द्वारा योग साधना को सरल ही नहीं किया अपितु योग को एक विज्ञान के रूप में प्रस्तुत किया है, जिससे योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जा सकेगा, क्योंकि अन्य विज्ञान के विषयों की तरह योग विज्ञान भी पूर्ण रूप से धर्मर्निपेक्ष अभ्यास है। ऐसा होने पर विश्व के समस्त लोग योग के आश्चर्यचकित और उपयोगी प्रभाव का लाभ लेकर मन की शांति के साथ अपने जीवन स्तर को भी सुधार सकेंगे।

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