मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसका फैसला कुछ ही घंटों बाद हो जाएगा। भाजपा ने विधानसभा चुनावों के नतीजों के आठ दिन बाद सोमवार को विधायक दल की बैठक बुलाई है। इसमें हंगामा होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। इस वजह से विधायकों को भेजे गए पत्र में साफ तौर पर लिखा है कि बैठक से पहले तक कोई भी विधायक मीडिया के सामने प्रतिक्रिया नहीं देगा। बैठक में भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं को भी बुलाया गया है, जो विधायक नहीं है।
मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान हुआ और तीन दिसंबर को विधानसभा चुनावों के नतीजे आए। भाजपा ने 230 सीटों वाली विधानसभा में 163 सीटों के साथ बम्पर बहुमत हासिल किया है। कांग्रेस को 66 और अन्य को एक सीट से संतोष करना पड़ा। केंद्रीय पर्यवेक्षक हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के लक्ष्मण और राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा शीर्षनेतृत्व का निर्देश बैठक में सुनाएंगे।
यह है सीएम पद के दावेदार
शिवराज सिंह चौहानः चार बार के मुख्यमंत्री। 16 साल से ज्यादा का अनुभव। लाड़ली बहना योजना शिवराज की योजना है, जिसे भाजपा की जीत का अहम फेक्टर बातया जा रहा है। जन नेता बनकर उभरे। ओबीसी बढ़ा चेहरा। नई लीडरशिप के चलते इनके विकल्प की तलाश की जा रही है।
नरेंद्र सिंह तोमर: दिमनी से विधायक बनें। केंद्रीय मंत्री पद छोड़कर आए। कुशल संगठक माने जाते है। आरएसएस की भी पसंद। शिवराज अपनी सहमति दे सकते हैं। सामान्य वर्ग से आते है।
प्रहलाद पटेल: शिवराज के बाद प्रदेश में ओबीसी चेहरा है। केंद्रीय मंत्री पद छोड़कर आए हैं। केंद्रीय नेताओं की पसंद है।
कैलाश विजयवर्गीय: आठ साल बाद विधायक का चुनाव लड़ा और जीता। भाजपा कार्यकर्ताओं की पसंद। केंद्रीय नेतृत्व के नजदीकी है।
ज्योतिरादित्य सिंधियाः अवसर कम है, लेकिन प्रबल है। केंद्र में लगातार ताकत बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंसद है। शिवराज के बाद सभी लोकप्रिय चेहरा।
यह नाम भी शामिल- पिछले कुछ दिनों में आदिवासी चेहरा सुमेर सिंह सोलंकी, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते और सांसदों का नाम भी चर्चा में आया है।
विधायकों को भेजे पत्र में दी है चेतावनी
भाजपा के प्रदेश कार्यालय में विधायकों की बैठक 11 दिसंबर को बुलाई गई है। इस दौरान विधायकों का पंजीयन और भोजन होगा। साथ ही समूह फोटो खींची जाएगी। बैठक के बाद स्वल्पाहार और चाय होगी। हालांकि, विधायकों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बैठक में उनका कोई सहायक या अंगरक्षक शामिल नहीं होगा। साथ ही बैठक से पहले उन्हें मीडिया को प्रतिक्रिया न देने को कहा गया है।