मोदी सरकार में किसी चीज की गारंटी हो या न हो पर अभिव्यक्ति पर पहरे की पूरी गारंटी है!

भारत के पड़ोसी देशों में भूटान 90वें, नेपाल 95वें, श्रीलंका 135वें, पाकिस्तान 150वें, अफ़ग़ानिस्तान 152वें, बांग्लादेश 163वें, म्यांमार 173वें और चीन 179वें स्थान पर है। रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स के अनुसार दुनिया की 85 प्रतिशत आबादी ऐसे देशों में रहती है, जहां पिछले 5 वर्षों के दौरान प्रेस की आजादी का हनन हुआ है। प्रेस की आजादी पर सबसे बड़ा खतरा तीन देशों – भारत, तुर्की और ताजीकिस्तान में है। इस वर्ष रिकॉर्ड संख्या में देशों में प्रेस की आजादी में गिरावट दर्ज की गयी है। इसका सबसे बड़ा कारण दुनिया में प्रजातंत्र के नाम पर निरंकुश तानाशाही का पनपना, सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं की भरमार, सरकारी प्रोपेगंडा और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का व्यापक प्रसार है।

हम इतिहास के उस दौर में खड़े हैं जहां मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी के सन्दर्भ में हम पाकिस्तान, रूस, चीन, बेलारूस, तुर्की, हंगरी, इजराइल को आदर्श मान कर उनकी नक़ल कर रहे हैं और स्वघोषित विश्वगुरु का डंका पीट रहे हैं। यह दरअसल देश के मेनस्ट्रीम मीडिया की जीत है, क्योंकि यह मीडिया ऐसा ही देश ऐसी ही निरंकुश सत्ता चाहता है जिसके तलवे चाटना ही उसे समाचार नजर आता है। यही रामराज्य है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This will close in 0 seconds

error: Content is protected !!