स्थानीय लोगों के अनुसार, ट्रैक्टर-ट्रॉली जैसे ही नरवार गांव की सीमा में पहुंची, वैसे ही उसमें अचानक धुआं उठता दिखा। शुरू में लोगों को लगा कि शायद ट्रैक्टर में तकनीकी खराबी आ गई हो, लेकिन कुछ ही देर में आग की लपटें उठने लगीं और स्थिति बेकाबू हो गई। ग्रामीणों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन आग ने गेहूं को पूरी तरह अपनी चपेट में ले लिया।
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हादसे की जानकारी मिलते ही ग्राम पंचायत के सदस्य और कुछ प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। हालांकि तब तक ट्रॉली पूरी तरह जल चुकी थी और उसमें भरा गेहूं भी राख हो चुका था। ग्रामीणों ने बताया कि अगर समय पर दमकल वाहन पहुंच जाता तो नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकता था, लेकिन दमकल की अनुपलब्धता ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।
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अभी तक आग लगने के कारणों का स्पष्ट पता नहीं चल सका है। कुछ लोगों का मानना है कि शॉर्ट सर्किट या किसी चिंगारी की वजह से आग लगी हो सकती है, जबकि अन्य इसे ट्रैक्टर की तकनीकी खराबी मान रहे हैं। ट्रॉली में भरे गेहूं की कीमत लाखों रुपये में बताई जा रही है, जिससे किसान को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।
उमेश सिंह, जिनकी यह ट्रॉली थी, ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने बड़ी मेहनत से यह फसल उगाई थी और इस नुकसान से उनकी आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ेगा। उन्होंने प्रशासन से मुआवजे की मांग की है, ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके। इस हादसे ने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में दमकल और सुरक्षा व्यवस्थाओं की कमी को उजागर कर दिया है। प्रशासन से ग्रामीणों ने मांग की है कि ऐसे क्षेत्रों में आग से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन और त्वरित सहायता सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को टाला जा सके।