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स्थानीय लोगों के अनुसार, रात के समय जंगल से धुआं उठता देखा गया। जैसे-जैसे आग बढ़ती गई, ग्रामीणों में दहशत फैल गई। घुनघुटी और आसपास के गांवों के लोग तुरंत मौके पर पहुंचे और आग बुझाने में जुट गए। वन विभाग को सूचना मिलते ही क्षेत्रीय वन अधिकारी और कर्मचारी दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे। आग को फैलने से रोकने के लिए तुरंत फायर ब्रेकर बनाए गए और समन्वित रूप से बुझाने की प्रक्रिया शुरू की गई। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि यदि समय रहते आग पर काबू नहीं पाया जाता, तो यह आसपास के गांवों तक फैल सकती थी और वन्यजीवों को भी गंभीर खतरा हो सकता था। आग बुझाने की इस पूरी प्रक्रिया में ग्रामीणों ने अहम भूमिका निभाई। बिना किसी संसाधन के भी उन्होंने साहस और समर्पण से आग बुझाने में मदद की। गांव के युवा, बुजुर्ग और महिलाएं भी देर रात तक आग बुझाने में लगे रहे। यह सामूहिक प्रयास ही था जिसने एक बड़े नुकसान को टाल दिया।
आग लगने के कारणों की जांच जारी
फिलहाल आग लगने के पीछे के कारणों की पुष्टि नहीं हो पाई है। वन विभाग ने जांच शुरू कर दी है। संभावना जताई जा रही है कि गर्मी और सूखे पत्तों के कारण छोटी सी चिंगारी ने विकराल रूप ले लिया हो, हालांकि मानवीय लापरवाही की भी आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।