Ujjain news : इस बार पर्यावरण को बचाने आएंगे गोबर के गणेश, पूजन सामग्री में गोमय उत्पादों की अच्छी बिक्री का असर

Ujjain: This time cow dung Ganesh will come to save the environment,

पर्यावरण को बचाएंगे गोबर गणेश

हिंदू रीति-रिवाज में गाय के गोबर की पूजा होती है। इसका महत्व उस समय और भी बढ़ जाता है, जब भगवान गणेश की मूर्ति इसी से बनाई जाए। नगर में गणेश महोत्सव की तैयारियां जोरों से चल रही हैं। इस बार हर कोई चाहता है कि उनके घर इको-फ्रेंडली गणपति विराजमान हों, जिससे गणपति का आर्शीवाद तो मिले ही इसके साथ ही पर्यावरण पर भी बुरा असर ना पड़े। ऐसे में नगर के पिंगलेश्वर में स्थापित एक इंडस्ट्रीज में अनोखे तरीके से भगवान गणेश की मूर्ति बनाई जा रही है। जो कि गोबर से बनी होने के साथ पूरी तरह से इको फ्रेंडली है, जिससे प्रदूषण नहीं फैलता है। मिट्टी में तत्काल मिल जाने से यह खाद का भी काम करती है।

गायत्री शक्ति पीठ परिवार के मीडिया प्रभारी देवेंद्र श्रीवास्तव बताते हैं कि उज्जैन के पिंगलेश्वर में स्थापित एक निजी इंडस्ट्री द्वारा गाय के गोबर से भगवान गणेश की प्रतिमा बनाने के साथ ही पूजन सामग्री के निर्माण का नवाचार शुरू किया गया हैं जो गाय के गोबर से बने उत्पादों का निर्माण कर रही हैं। इसके अलावा गायत्री शक्तिपीठ की रतलाम और कालापीपल स्थित इंडस्ट्री से भी शहर में गोमय उत्पाद बिकने के लिए आ रहे हैं। ये सभी गाय के गोबर का सदुपयोग करते हुए लोगों के लिए भी रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहे हैं। उनके इस पूरे काम से सही मायनों में गौ सेवा भी हो रही है। पिछले दो सालों से शहर में पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी हैं। ऐसे में गोबर से बने उत्पादों का भी उपयोग बढ़ा हैं। इसमें दीपक, धूप बत्ती, छोटे हवन कुंड विशेष हैं।

इस साल गाय के गोबर से बने गणेश जी भी शहर में बिकने आएंगे। गायत्री परिवार के साथ पर्यावरण प्रेमियों में भी इसको लेकर खासा उत्साह है। शहर में अंकपात मार्ग स्थित गायत्री शक्ति पीठ मंदिर, आरटीओ कार्यालय के सामने श्री महाकाल साहित्य भंडार पर गणेश मूर्तियां और अन्य पूजन सामग्रियां उपलब्ध करवाई जाएगी। जिनकी कीमत भी कम बजट में रहेगी। श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसी मान्यता है गाय का गोबर बहुत ज्यादा शुभ होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है। यदि आप गोबर का इस्तेमाल किसी भी कार्य में करते हैं तो आपको उसके शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। इसके अलावा कृषि में रासायनिक खाद्य और कीटनाशक पदार्थ की जगह गाय का गोबर इस्तेमाल करने से जहां भूमि की उर्वरता बनी रहती है, वहीं उत्पादन भी अधिक होता है। दूसरी ओर पैदा की जा रही सब्जी, फल या अनाज की फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है। खेत जुताई करते समय गिरने वाले गोबर और गौमूत्र से भूमि में स्वत: खाद डलती जाती है।

जानिए क्यों खास है गाय के गोबर से बनी मूर्तियां

आमतौर पर मिट्टी और गोबर में पंचतत्वों का वास माना जाता है और गोबर में मां लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए जब कोई काम शुभ काम होता है तो देवी-देवता के स्थान को गाय के गोबर से लीपा जाता है। इसलिए गोबर गणेश की मूर्ति लोगों के बीच काफी फेमस हो रही है। जिससे भगवान गणेश के साथ-साथ मां लक्ष्मी का आर्शीवाद भी उन्हें प्राप्त होगा।

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