पिछले एक सप्ताह से हो रही बारिश ने प्याज की फसल बर्बाद कर दी है। एक ओर किसानों को खेतों में फसल खराब होने से बड़ा नुकसान हुआ है, तो वहीं मंडी में भी इन फसलों के दाम मात्र एक से दो रुपए प्रति किलो मिल रहे हैं। स्थिति ऐसी बन चुकी है कि किसानों को फसल मंडी तक लाने का किराया भी नहीं निकल रहा है। इसी बात से नाराज होकर संयुक्त कृषक संगठन ने कृषि उपज मंडी में विरोध प्रदर्शन करते हुए निशुल्क प्याज का वितरण किया और सरकार से 24 रुपए प्रति किलो की दर से प्याज खरीदी की मांग की।
संयुक्त कृषक संगठन के जिला अध्यक्ष संदीप पाटीदार ने बताया कि मंडी में 1 से 2 रुपए प्रति किलो के दाम पर प्याज की खरीदी की जा रही है, जबकि इसकी पैदावार की लागत लगभग 12 से 15 रुपए प्रति किलो है। प्याज के उचित दाम न मिलने पर मजबूर होकर किसानों को अपनी फसल निशुल्क बांटना पड़ रही है। उन्होंने बताया कि संयुक्त कृषक संगठन प्रदेश स्तर का संगठन है। अभी उज्जैन में यह प्रदर्शन किया गया है, लेकिन आने वाले दिनों में पूरे जिले भर में ऐसे प्रदर्शन किए जाएंगे। सरकार को किसानों की मजबूरी समझनी चाहिए और जल्द से जल्द प्याज की खरीदी समर्थन मूल्य पर शुरू करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो हम पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन करेंगे।
किसानों को दोहरी मार
मंडी में प्याज लेकर पहुंचे किसान अपनी फसल को कम दाम पर ही बेचने को मजबूर हैं। फसल नहीं बिकने पर किसान प्याज मंडी में ही छोड़कर जा रहे हैं। मौसम खराब होने से किसानों को कृषि मंडी में दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। बारिश के कारण खुले में पड़ा प्याज खराब हो रहा है। करीब एक हफ्ते से जारी बारिश के दौर की वजह से प्याज उत्पादक किसानों की लागत भी बढ़ गई है और दाम भी गिर गए हैं।
मंडी में छोड़कर चले गए प्याज
कृषि उपज मंडी में प्याज की फसल लेकर पहुंचे किसान कैलाश पाटीदार का कहना है कि वे 70 किलोमीटर दूर से ट्रैक्टर-ट्रॉली का भाड़ा लगाकर मंडी में फसल बेचने आए थे। आज की नीलामी में उनकी फसल 100 से 150 रुपए प्रति क्विंटल ही बिकी है, जिससे स्थिति कुछ ऐसी बन गई है कि किसान कैलाश को फसल बेचने के बाद घर जाने का भाड़ा भी नहीं बचा है। किसान का कहना है कि अगर प्याज इसी दाम में बिकता रहा तो इस फसल के लिए लिया गया कर्ज कैसे चुकाया जाएगा। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए, वरना किसानों के लिए यह फसल जानलेवा साबित हो सकती है।