पूर्व मंत्री सज्जन सिंह सहित अन्य लोग
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उच्च मंत्री डॉ मोहन यादव ने यह संकल्प लिया है कि इनके राज मे भूमाफिया इसी तरह फूलेंगे फलेंगे। यह आरोप पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने पत्रकारवार्ता के दौरान लगाए और कहा कि इस नए मास्टर प्लान में साल 2016 में लगाए गए सिंहस्थ क्षेत्र की कई भूमि ऐसी है, जहां पर सेटेलाइट टाउन का निर्माण किया गया था। आने वाले सिंहस्थ 2028 के लिए तो होना यह चाहिए था कि इन सभी भूमियों के साथ ही सरकार कुछ ऐसी व्यवस्था करती, जिसे सिंहस्थ में आने वाले करोड़ों लोगों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ता। लेकिन नए मास्टर प्लान के दौरान क्षेत्र में रहने वाले किसानों द्वारा कृषि भूमि को आवासीय घोषित करने के आवेदन दिए बिना ही इन्हें आवासीय बना दिया गया है, जिससे शासन को लगभग 500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। जबकि इस नए मास्टर प्लान में कृषि भूमि को आवासीय बनाने पर भू माफियाओं को लगभग 1500 करोड़ का फायदा हुआ है।
पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के साथ ही कांग्रेस की उज्जैन जिला प्रभारी शोभा ओझा ने भी इस मास्टर प्लान को तत्काल निरस्त करने की बात कहते हुए बताया कि यदि मास्टर प्लान को निरस्त नहीं किया जाता तो साधु-संतों और आम लोगों की अगुवाई में कांग्रेस जन आंदोलन करेगी यदि सरकार इससे समझती है तो ठीक वरना इसके लिए न्यायपालिका का भी सहारा लिया जाएगा।
मास्टर प्लान पर आपत्ति लगाने के बाद अब तक यह हुआ…
उज्जैन का मास्टर प्लान दो दिन पहले मध्यप्रदेश शासन ने स्वीकृत किया है। यह मास्टर प्लान काफी विवादों एवं आपसी खिचतान के बाद स्वीकृत हो सका। मास्टर प्लान 2035 पर आपत्ती/सुझाव कुल 463 प्राप्त हुए थे। इन आपत्तियों में आपत्तिकर्ता अखिल भारतीय अखाडा परिषद अध्यक्ष रविन्द्रपुरी महाराज, महामण्डलेश्वर अतुलेशानंद महाराज, रवि राय नेता प्रतिपक्ष, सोनू गेहलोत तत्कालीन निगम अध्यक्ष भाजपा, महेश परमार विधायक, पारस जैन पूर्व मंत्री एवं विधायक भाजपा, सतीश मालवीय पूर्व विधायक भाजपा, सत्यनारायण चौहान, महाराष्ट्र समाज, माली समाज, पत्रकार सत्यनारायण सोमानी, जयसिंह ठाकुर, सागर तिरवार, उमेश चौहान अन्यो की प्रमुख आपत्ति आई थी कि सिंहस्थ 2016 में जिन स्थानों पर सिंहस्थ के लिए सेटेलाइट टाउनों का निर्माण किया गया था। उन भूमियों को आवासीय नहीं किया जाए और इस भूमि को सिंहस्थ हेतु आरक्षित रखा जाए।
क्योंकि उक्त भूमियां सिंहस्थ मेला अधिनियम 1999 एवं 1955 की धारा-1 उपधारा (2) के तहत प्राप्त शाक्तियों का उपयोग करने के लिए सेटेलाइट टाउन हेतु मेला क्षेत्र घोषित किया गया था। इस संबंध में मध्यप्रदेश राजपत्र में दिनांक 26 दिसम्बर 2014 को भी अधिगृहण हेतु प्रकाशित किया गया था, जिसमें सबसे ज्यादा उपयोगी सेटेलाइट टाउन जो की दाउदखेड़ी इन्दौर रोड पर स्थित था (सिंहस्थ बायपास) जिसमें कुल 1,48,679 हेक्टर भूमि अधिगृहित की गई थी। शहर के समस्त सेटेलाइट टाउन हेतु कुल अधिगृहित भूमि 3,52,915 की गई थी, जिन्हें वर्तमान मास्टर प्लान में आवासीय कर दिया गया है और किसी भी संत महात्मा, राजनैतिक जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों, पत्रकार बंधुओ की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया।
इसी के साथ शहरी क्षेत्र में सर्वाधिक आपत्ति पुराने रहवासी क्षेत्र जहां कभी सिंहस्थ नहीं लगा वहां के रहवासियों की आपत्ति कि हमारे क्षेत्रों को सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त किया जाए, जिसकी आपत्ति संख्या 259 थी, जिस पर जिला कार्यालय एवं स्थानीय समिति ने निर्णय लिया कि सिंहस्थ क्षेत्र की भूमि मुक्त करना जिला प्रशासन के क्षेत्राधिकार में होने से आपत्ति अमान्य कर दी गई। परन्तु एक ओर जहां सिंहस्थ में सेटेलाइट टाउन स्थापित थे, ग्राम दाउदखेड़ी, सावराखेड़ी, जीवनखेड़ी की भूमियों को जो सिंहस्थ 2016 हेतु अधिगृहित कर इनके भू-स्वामियों को मुआवजा भी दिया गया था। वर्तमान मास्टर प्लान में उन्हें सिंहस्थ क्षेत्र से हटाकर आवासीय कर दिया गया जो निन्दनीय है।
सरकार को 500 करोड़ का घाटा, बिल्डरों को 1500 करोड़ का फायदा…
स्वीकृत मास्टर प्लान 2035 मे शहर के बिल्डर, कॉलोनाइजरो की कृषि भूमि को ग्राम डेंडीया, ग्राम मेंडिया, ग्राम शक्करवासा, ग्राम नीमनवासा, ग्राम जीवनखेडी, लालपुर की सेकडो एकड जमीन को बिना किसी के आवेदन के ही कृषि से आवासीय कर दिया गया है। जबकि भूमि विकास अधिनियम 2012 की धारा-23 के तहत उपांतरण हेतु कृषि भूमि को निर्धारित शुल्क जमा कर आवासीय की जा सकती है। परन्तु बिना शुल्क लिए मास्टर प्लान में उक्त भूमियों को आवासीय कर दी गई, जिससे शासन को करोड़ो रुपये की राजस्व हानि हुई, जो कि लगभग 500 करोड़ रुपये है। वहीं, इससे क्षेत्र में जमीन खरीदने वाले भू-माफियाओं को लगभग 1500 करोड़ों का फायदा हुआ है। क्योंकि अब उन्हें कृषि भूमि को आवासीय बनाने के लिए कोई भी शुल्क सरकार को नहीं देना होगा।
अब कहां बनेंगे सेटेलाइट टाउन…
सिंहस्थ 2016 में भीड नियंत्रण हेतु सर्वसुविधायुक्त पार्किग (सेटेलाइट टाउन) बनाकर क्राउन मैनेजमेंट किया था और सिहंस्थ 2016 में पश्चात समीक्षा बैठक में सर्वानुमति से निर्णय लिया गया कि भविष्य में दोगुनी जमीन की आवश्यकता होगी। मास्टर प्लान 2035 में स्वीकृत योजना में सिंहस्थ क्षेत्र में वृद्धि न करते हुए 74 हेक्टयर भूमि को और कम कर दिया गया, जिस पर सेटेलाइट टाउन थे। उन्हें आवासीय कर दिया, लालपुर की भूमि जो कृषि थी उसे भी आवासीय कर दिया सिंहस्थ क्षेत्र को ओर कम करने पर हम इसकी निंदा करते हैं।
सिंहस्थ में बवंडर आया, सरकार गिरी अब तूफान आया सप्तऋषि गिर, यानी कि फिर जाएगी भाजपा सरकार…
पत्रकारवार्ता के दौरान पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि सिंहस्थ के दौरान भी एक ऐसा बवंडर आया था, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार चली गई थी। बीते रविवार को फिर ऐसा तूफान आया, जिससे महाकाल लोक से सप्तऋषि नीचे गिर गए और इनकी प्रतिमाएं टूट गई। सीधी सी बात है आप समझ ही गए होंगे कि भाजपा सरकार फिर जाने वाली है।
मास्टर प्लान की सबसे ज्यादा संपत्ति मंत्री डॉ मोहन यादव की…
पत्रकारवार्ता के दौरान पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने आरोप लगाया कि मास्टर प्लान लागू होने से सबसे अधिक फायदा उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव को हुआ है। क्योंकि दाऊदखेड़ी, निमनवासा, जीवनखेड़ी, शक्करखेड़ी, डेडिया, मेंडिया कि अधिकांश जमीन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव और उनसे जुड़े लोगों की ही है। साथ ही जो जमीन अन्य लोगों के नाम पर है, वे लोग भी मंत्री मोहन यादव के पाटनर हैं।