भगवान कृष्ण की विभिन्न प्रतिमाओं में उन्हें मुरली बजाते और आशीर्वाद देते हुए देखा होगा, लेकिन धार्मिक नगरी उज्जैन में भगवान श्री कृष्ण की एक ऐसी विलक्षण प्रतिमा है, जिसमें उनके हाथों मे मुरली नहीं बल्कि पेन और पट्टी है और इस प्रतिमा में वह विद्या अध्ययन करते नजर आते हैं। यह महर्षि सांदीपनि का आश्रम है जहां महज 12 वर्ष की उम्र में भगवान श्री कृष्ण शिक्षा अध्ययन करने लगभग 5500 वर्ष पूर्व द्वापर युग में आए थे। जहां 64 दिनों मे भगवान श्री कृष्ण ने 64 विद्या, 16 कलाएं, 18 पुराण, 4 वेद, 6 शास्त्र और गीता का ज्ञान प्राप्त किया था।
अंकपात रोड पर गुरु सांदीपनि का एक ऐसा आश्रम है, जिसे भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली के नाम पर जाना जाता है। इस आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण द्वापर युग में बड़े भाई बलराम के साथ शिक्षा अध्ययन करने के लिए आए थे। जहां उन्होंने महातपस्वी गुरु सांदीपनि से वेद, धनुर्वेद, शास्त्रों, कलाओं और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया था।
मंदिर के पुजारी पंडित मधुसूदन तिवारी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण बलराम और सुदामा ने 64 दिन की अवधि में ही 64 विद्या और 16 कलाओं के साथ संपूर्ण ज्ञान की प्राप्ति गुरु सांदीपनि से की थी। शिक्षा अध्ययन के साथ ही गायन, नृत्य, चित्र बनाने, तिलक लगाने, वस्त्रों को रंगने के साथ ही अन्य विधाओं मे भी श्री कृष्ण बलराम और सुदामा को इसी आश्रम में निपुणता प्राप्त हुई थी। पंडित तिवारी ने बताया कि इस आश्रम में गोमती कुंड है, जिसे भगवान श्री कृष्ण ने इसलिए प्रकट किया था क्योंकि गुरु सांदीपनि को आसानी से पवित्र जल प्राप्त हो सके। भगवान श्रीकष्ण इसी कुंड में पट्टी (स्लेट) पर लिखे अंक मिटाकर अंकों का पतन अर्थात धोते थे। इसलिए इस आश्रम के सामने वाले मार्ग को आज भी अंकपात मार्ग के नाम से जाना जाता है। आश्रम में भगवान कृष्ण, बलराम और सुदामा की लीलाएं के संकेत आज भी नजर आते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने लिखे थे यह तीन मंत्र
इस आश्रम में भगवान श्री कृष्ण, सुदामा और बलराम की बैठी हुई प्रतिमा के दर्शन होते हैं, जबकि अन्य मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण मुरली बजाते नजर आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान श्रीकष्ण के हाथों में स्लेट और कलम दिखाई देती है। श्रीकृष्ण को गुरु सांदीपनि ने स्लेट पर तीन मंत्र ऊं श्री गणेशाय नम:, ऊं श्री सरस्वती नम:, ऊं श्री गुरुवे नम: लिखवाए थे। आश्रम में यह परंपरा आज भी चल रही है। अब गुरु सांदीपनि आश्रम में बच्चों को विद्यारंभ संस्कार में मंत्रों की जगह हिन्दी, अंग्रेजी और गणित के शब्द लिखवाए जाते हैं।
सर्वेश्वर महादेव पर तप करते थे गुरु सांदीपनि
पुजारी पंडित मधुसूदन तिवारी ने बताया कि सांदीपनि आश्रम में ही एक ऐसा अति चमत्कारी शिवलिंग है जिसे गुरु सांदीपनि ने अपने तपोबल से बिल्वपत्र के माध्यम से प्रकट किया था, जिसे सर्वेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। पंडित तिवारी ने यह भी बताया कि जब भगवान श्री कृष्ण ने 64 दिन में संपूर्ण शिक्षा प्राप्त कर ली थी तब गुरु सांदीपनि की पत्नी सुमुखी के कहने पर भगवान श्री कृष्ण ने उनके सात पुत्रों में से एक पुत्र पुर्नदत्त को फिर से जीवित कर दिया था।
धूमधाम से मनेगी जन्माष्टमी, इस वर्ष सब्जी से होगा श्रृंगार
इस वर्ष 6 सितंबर 2023 को मंदिर में जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। पुजारी पंडित मधुसूदन तिवारी ने बताया कि 6 सितंबर 2023 की रात्रि 12 बजे भगवान का पूजन अर्चन अभिषेक किया जाएगा। जिसके बाद जन्म आरती होगी। इस दौरान पूरे मंदिर को सब्जी से सजाया जाएगा। 6 सितंबर के साथ ही 7 सितंबर को भी इस उत्सव की धूम मंदिर में रहेगी।