जेठ की दुपहरी अच्छे-अच्छे को पसीना छुड़ा देती है लेकिन जब बात वोट डालने की हो तो कौन इस मौके को हाथ से जाने देता है. चिलचिलाती धूप में भी लोग वोट डालने जाते हैं. हालांकि इसका कुछ को खामियाजा भी भुगतना पड़ता है. बेंगलुरु में मतदान के समय लाइन में खड़ी एक महिला को तेज प्यास लगी. उसने पानी पिया लेकिन परेशानी इतनी बढ़ गई कि पानी पीते-पीते ही वह अचानक बेहोश हो गई. बेहोश होने के बाद वे जमीन पर गिर गई. वहां खड़े लोगों के होश उड़ गए क्योंकि महिला एकदम शांत हो चुकी थी. यहां तक कि पल्स रेट भी गिरने लगा था. पर अचानक वहां एक डॉक्टर देवदूत बनकर पहले से खड़ा था. उस डॉक्टर की सूझ-बूझ ने अचानक महिला को मौत के मुंह से खींच लाया.
मामला दक्षिणी बेंगलुरु का
दक्षिणी बेंगलुरु के जेपी नगर के फेज 8 में एक पोलिंग बूथ पर महिला जंबू सावरी डीने वोट डालने आई थी. वे लाइन में लग गई. तेज धूप थी. कुछ समय बाद वह पानी पीने लगी कि इतने में पानी पीते ही वह बेहोश होकर गिर गई. पास में ही डॉ. गणेश श्रीनिवासा प्रसाद खड़े थे. जैसे ही महिला को बेहोश देखा वे अपना फर्ज निभाने के लिए आगे बढ़े. डॉ. गणेश ने जब हाथ चेक किया तो पाया कि महिला का पल्स रेट तेजी से नीचे जा रहा है. यहां तक कि उसकी बॉडी से कोई रिस्पॉन्स भी नहीं मिल रहा है. उन्होंने तुरंत महिला को सीपीआर देना शुरू किया. सीपीआर देते ही महिला का हालत में सुधार हुई. वह सांसें लेने लगी और बेहोशी से वापस आ गई. उसके बाद उसे अस्पताल पहुंचा दिया गया जहां उनकी हालत ठीक हो गई.
सीपीआर देने से धड़कन शुरू
सीपीआर को कार्डियोपल्मोनरी रिसुसिएशन कहते हैं. यह जीवनदायी सुरक्षा प्रणाली है जिसमें जब हार्ट धड़कना बंद हो जाता है तब छाती को विशेष तरह से दबाया जाता है. इसमें एक तरह से सांसें बंद हो जाती है लेकिन दिल को सही तरीके से दबाने से हार्ट पंप करना शुरू कर देता है. इससे मौत के मुंह से बाहर आने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. हालांकि यह आसान तरीका है लेकिन बहुत कम लोगों को यह पता है. इसलिए डॉक्टर हमेशा कहते हैं कि हर इंसान को सीपीआर सीखना चाहिए. गौरतलब है कि दक्षिण बेंगलुरु से बीजेपी के युवा नेता तेजस्वी सूर्या चुनाव लड़ रहे हैं. डॉ. गणेश बेंगलुरु में नारायणा हेल्थ सेंटर में किडनी स्पेशलिस्ट हैं.
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