निजी स्कूलों की मनमानी पर लगेगा अंकुश: अब यूनिफॉर्म, किताबें और फीस की पूरी जानकारी देनी होगी DPI पोर्टल पर

31 दिसंबर तक सभी स्कूलों को करनी होगी ऑनलाइन एंट्री, नियम तोड़ने पर हो सकती है सख्त कार्रवाई

भोपाल। नए शिक्षण सत्र 2026–27 से अब राज्य के निजी विद्यालयों की मनमानी पर लगाम कसने की तैयारी शुरू हो चुकी है।
स्कूल शिक्षा विभाग ने स्पष्ट आदेश जारी करते हुए सभी निजी स्कूलों से कहा है कि वे 31 दिसंबर 2025 तक अपनी प्रस्तावित फीस, यूनिफॉर्म, स्टेशनरी सामग्री और सिलेबस की पूरी जानकारी DPI पोर्टल (https://dpimp.in/) पर अपलोड करें।

यह पहल इसलिए की गई है ताकि अभिभावकों को पहले से जानकारी मिल सके कि स्कूलों में अगले सत्र में कितनी फीस ली जाएगी, क्या यूनिफॉर्म तय की गई है और स्टेशनरी या किताबों की खरीदारी किन दुकानों से की जा सकती है।

लोक शिक्षण विभाग और जिला प्रशासन की संयुक्त पहल

लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) ने इस दिशा में पहले से कवायद शुरू कर दी है।
विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे अपने क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले निजी विद्यालयों से निर्धारित समयसीमा में जानकारी अपलोड कराने की निगरानी करें।

साथ ही, जिला प्रशासन को भी यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी निजी स्कूल फीस, यूनिफॉर्म या पाठ्य सामग्री के नाम पर मनमानी न करे।

फीस तय करने का नया पारदर्शी सिस्टम

अब तक निजी स्कूल अपनी मनमर्जी से फीस बढ़ा देते थे, जिससे अभिभावकों को भारी आर्थिक बोझ झेलना पड़ता था।
लेकिन मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा अन्य संबंधित विषयों का विनियम) अधिनियम 2017 के अनुसार:

निजी विद्यालय 10 प्रतिशत से अधिक फीस स्वतः नहीं बढ़ा सकते।

10% से अधिक और 15% तक फीस बढ़ाने के लिए जिला स्तरीय समिति से अनुमति आवश्यक है।

15% से अधिक फीस वृद्धि के लिए राज्य स्तरीय समिति की अनुमति लेनी होगी।

विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब स्कूलों को दिसंबर माह में ही पोर्टल पर यह बताना होगा कि अगले सत्र में कितनी फीस ली जाएगी और उसमें कितनी प्रतिशत वृद्धि की जा रही है।

यूनिफॉर्म और स्टेशनरी पर स्कूल का नाम लिखना प्रतिबंधित

आदेश में एक और महत्वपूर्ण बिंदु जोड़ा गया है —
अब कोई भी निजी स्कूल यूनिफॉर्म छोड़कर किसी भी अन्य सामग्री (किताब, स्टेशनरी, बैग आदि) पर स्कूल का नाम, लोगो या मोनोग्राम नहीं छाप सकेगा।

इसका उद्देश्य यह है कि अभिभावकों को किसी एक विशेष दुकान से सामग्री खरीदने के लिए मजबूर न किया जाए।
कई स्कूल अब तक “स्कूल ब्रांडेड” स्टेशनरी और किताबें तय दुकानों से दिलवाते थे, जिससे कीमतें बढ़ जाती थीं और पारदर्शिता खत्म हो जाती थी।

पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य

विभाग ने अधिसूचना में कहा है कि
“मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा अन्य संबंधित विषयों का विनियम) अधिनियम 2017, नियम 2022 एवं नियम 2024” के अंतर्गत
सभी निजी विद्यालयों को विभागीय पोर्टल http://dpimp.in/ पर निम्न जानकारी दर्ज करना अनिवार्य है:

1. विद्यालय का नाम, पता, मान्यता विवरण

2. सत्र 2026–27 के लिए प्रस्तावित फीस संरचना

3. यूनिफॉर्म का पूरा विवरण (रंग, पैटर्न, लागत)

4. किताबों व स्टेशनरी की सूची (प्रकाशक का नाम सहित)

5. विद्यालय का सिलेबस व शैक्षणिक कैलेंडर

इन सूचनाओं को अपलोड करने के बाद विभागीय अधिकारी पोर्टल से ही उनका सत्यापन करेंगे।
यदि किसी स्कूल की जानकारी अधूरी या गलत पाई गई, तो संबंधित संस्थान पर कार्रवाई की जाएगी।

निजी स्कूलों की मनमानी पर बढ़ेंगी निगरानियां

बीते कुछ वर्षों से अभिभावकों की लगातार शिकायत रही है कि
निजी स्कूल फीस और किताबों के नाम पर अनुचित मुनाफाखोरी करते हैं।
कई जगह तो यूनिफॉर्म और किताबों के ठेकेदार पहले से तय होते हैं, जिससे अभिभावकों को मनचाही कीमत चुकानी पड़ती है।

अब DPI और जिला प्रशासन की इस संयुक्त पहल के बाद स्कूलों पर प्रशासनिक निगरानी बढ़ जाएगी।
फीस संरचना, यूनिफॉर्म और स्टेशनरी से जुड़ी हर जानकारी जनता के लिए पारदर्शी रूप में उपलब्ध होगी।

अभिभावकों को मिलेगा राहत का अनुभव

इस नीति से अभिभावकों को सबसे अधिक लाभ मिलने की उम्मीद है।
अब वे सत्र शुरू होने से पहले ही देख सकेंगे कि कौन-से स्कूल में कितनी फीस है, कौन-सी किताबें व यूनिफॉर्म निर्धारित हैं और किन दुकानों से सामग्री खरीदना अनिवार्य नहीं है।

इससे प्रतिस्पर्धा और पारदर्शिता दोनों बढ़ेंगी।
यदि किसी स्कूल द्वारा नियमों का उल्लंघन किया जाता है, तो अभिभावक सीधे DPI पोर्टल पर शिकायत कर सकेंगे।

नियम तोड़ने पर सख्त कार्रवाई

विभाग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि
जो भी निजी विद्यालय निर्धारित प्रारूप में जानकारी अपलोड नहीं करेगा,
या फीस, यूनिफॉर्म व स्टेशनरी के नाम पर नियमों का उल्लंघन करेगा,
उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं कि वे ऐसे विद्यालयों की सूची तैयार करें जो निर्धारित समय सीमा तक
जानकारी अपलोड नहीं करते हैं और उन पर जुर्माना या मान्यता निलंबन जैसी कार्रवाई करें।

शिक्षा विशेषज्ञों की राय

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम निजी शिक्षा क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाने वाला सुधारात्मक कदम है।
पूर्व शिक्षा अधिकारी आर.के. शर्मा के अनुसार —

“हर साल अभिभावकों को फीस और यूनिफॉर्म को लेकर परेशानी होती थी। DPI पोर्टल से यह व्यवस्था ऑनलाइन होने पर अब कोई भी स्कूल छिपी हुई फीस या अतिरिक्त शुल्क नहीं ले पाएगा।”

सरकार का उद्देश्य आने वाले वर्षों में सभी निजी स्कूलों को एकीकृत डिजिटल निगरानी प्रणाली के तहत लाना है।

ताकि शिक्षा की गुणवत्ता, पारदर्शिता और जवाबदेही तीनों में सुधार हो सके।
इसके लिए DPI पोर्टल को और अधिक यूज़र-फ्रेंडली बनाया जा रहा है, जिसमें जल्द ही ऑनलाइन शिकायत निवारण और फीस तुलना फीचर भी जोड़े जाएंगे।

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