
ग्वालियर। जेएएच समूह के कमला राजा अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की हालत बेहद दयनीय है। वार्डों में खुलेआम घूम रहे चूहे अब प्रसूताओं और नवजात शिशुओं तक पहुंचने लगे हैं। इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों के काटने से दो नवजातों की मौत के बाद भी ग्वालियर का सबसे बड़ा महिला अस्पताल कोई सबक लेता नहीं दिख रहा।
वार्डों में पसरा डर
न्यूरोसर्जरी, न्यूरोलॉजी, बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी और बाल एवं शिशु रोग वार्डों की पड़ताल के दौरान स्त्री एवं प्रसूति विभाग के वार्डों में चूहों की भरमार मिली। प्रसूति पूर्व कक्ष में भर्ती महिला की स्वजन रमा बाई का कहना है—
“रात में बड़े-बड़े चूहे पलंग और खाने की चीजों पर कब्जा जमा लेते हैं। जमीन पर सोने वालों पर चढ़ जाते हैं। पूरा अस्पताल परिसर चूहों के बिलों से भरा पड़ा है।”
नवजात शिशु सबसे ज्यादा असुरक्षित
नवजातों की कोमल त्वचा चूहों के पंजों से छिल सकती है। यदि काट लें तो संक्रमण और सेप्सिस का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। चूहों के पंजों और शरीर पर मौजूद गंदगी व बैक्टीरिया संक्रमण को और फैलाते हैं। मरीजों का भोजन भी कई बार इन चूहों की पहुंच में आ जाता है, जिससे पेट व आंतों की बीमारियां फैलने की आशंका बनी रहती है।
स्वास्थ्य नियमों की धज्जियां
स्वास्थ्य नियम साफ कहते हैं—
अस्पताल वार्डों में चूहों व जानवरों का प्रवेश वर्जित है।
नियमित पेस्ट कंट्रोल और सफाई अनिवार्य है।
भोजन को ढककर रखना और कचरे का तुरंत निस्तारण जरूरी है।
लेकिन कमला राजा अस्पताल में इन नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है।
बढ़ते खतरे की सूची
चूहों के काटने से गंभीर इंफेक्शन और सेप्सिस
नवजात की त्वचा छिलने और खून निकलने का खतरा
पंजों व लार से वायरल-बैक्टीरियल संक्रमण
दूषित भोजन से पेट और आंतों की बीमारियां
जिम्मेदारी किसकी?
यह लापरवाही सीधे-सीधे अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग की है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन किसी बड़ी त्रासदी का इंतजार कर रहा है? इंदौर की घटना के बाद भी चेतावनी नजरअंदाज की गई है। यदि तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए गए तो ग्वालियर में भी किसी बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।