Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि का पर्व आज 8 मार्च को पूरे देश में बहुत धूम-धाम से मनाया जा रहा है. इस दिन शिव भक्त शिव भक्ति में डूबे रहते है और शिव आराधना करते हैं. इस दिन व्रत रखने का विधान है, साथ ही जलाभिषेक भी किया जाता है. इस दिन शिव जी की पूजा करते समय शिव जी की आरती भी जरूर करें. शिव आरती के बिना महाशिवरात्रि का पर्व अधूरा माना जाता है.
भगवान शिव की आरती (Shiv ji Ki aarti)
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
भोलेनाथ की आरती के बाद इस मंत्र का जाप भी जरूर करना चाहिए. ऐसा करना माना जाता है इस मंत्र के बिना अधूरी मानी जाती है शिव जी की पूजा
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।
अर्थात् इसका अर्थ है-
कर्पूरगौरं –कपूर के समान सफ़ेद, करुणावतारं: करुणा के अवतार
संसारसारं- समस्त सृष्टि के सार,
भुजगेंद्रहारम्- जो सांपों को हार के रूप में धारण करते हैं
सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- इसका अर्थ है कि जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है.