संस्कृत: केवल भाषा नहीं, जीवन का मार्ग
संस्कृत सप्ताह और माह के तहत, जो 9 अगस्त से शुरू हुआ है और जिसे विश्व संस्कृत दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, अंगड़ी छात्रों के लिए विभिन्न खेलों, श्लोक प्रतियोगिताओं और भाषण आयोजनों का संचालन कर रहे हैं। वे कहते हैं, “संस्कृत मेरे लिए सिर्फ विषय नहीं, जीवन भाषा है।”
अंगड़ी के चारों बच्चे — अरफात, अरबाज, अल्फिया और तसफिया — भी संस्कृत पढ़ रहे हैं। यह दिखाता है कि यह परंपरागत भाषा केवल किसी एक धर्म या समुदाय की नहीं, बल्कि सभी की साझा विरासत है।
धार्मिक समर्पण से प्रेरित शिक्षा पथ
दसवीं पास करने के बाद अंगड़ी ने इंडी तालुका के बोलेगांव में संस्कृत शिक्षा की शुरुआत की। उनकी धार्मिक गतिविधियों में सक्रियता और समर्पण ने बाथनल मठ के वृषभ लिंगाचार्य स्वामीजी का ध्यान खींचा, जिन्होंने उन्हें आगे अध्ययन के लिए प्रोत्साहित किया। अंगड़ी ने बाद में जामखंडी की लक्ष्मीनरसिंह संस्कृत पाठशाला में संस्कृत साहित्य का अध्ययन किया।
सांप्रदायिक सौहार्द का जीवंत उदाहरण
सारंगमठ-गच्छीनामठ, सिंदगी के प्रभु सारंगदेव शिवाचार्य ने अंगड़ी को “सांप्रदायिक सद्भाव का आदर्श” बताते हुए कहा,
“उन्होंने दिखा दिया है कि किसी भी भाषा को सीखने या सिखाने में कोई धार्मिक बाधा नहीं होनी चाहिए।”
प्रेरणा का स्रोत
शकील अहमद अंगड़ी की कहानी एक स्पष्ट संदेश देती है — भाषा का कोई धर्म नहीं होता। संस्कृत जैसी प्राचीन भाषा को जीवित रखने में उनके जैसा समर्पण, केवल शिक्षण नहीं, संस्कृति और समरसता की सेवा है।