
मेडिकल कॉलेज शहडोल के बाहर विरोध जताते डॉक्टर
डॉ. प्रदीप पाठक ने कहा कि इस क्रूर और अमानवीय कृत्य की परत दर परत जिस तरह खुलकर सामने आ रही है, उससे डॉक्टर्स कम्युनिटी और महिलाओं के बीच असुरक्षा का माहौल है। इस तरह का माहौल देखकर, जिससे अंदर तक आत्मा हिल गई है। जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि पीड़िता को न्याय दिलाने की जगह आरोपितों को बचाने की कोशिश अस्पताल और स्थानीय प्रशासन पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
डॉ. आरडी खरात ने कहा कि इस घटना ने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर मेडिकल कॉलेज जैसी जगह पर डॉक्टर्स सुरक्षित नहीं हैं तो किस भरोसे अभिभावक अपनी बेटियों को पढ़ने बाहर भेजें। निर्भया केस के बाद बने कठोर क़ानून भी ऐसे अपराधों को रोक पाने में असफल दिख रहे हैं। कठुआ से लेकर कोलकाता तक महिलाओं के खिलाफ लगातार बढ़ती घटनाओं पर हर राजनीतिक दल, हर वर्ग को मिलकर गंभीर विचार.विमर्श कर ठोस उपाय करने होंगे। मेडिकल कॉलेज के डाक्टरों ने कहा कि हम सब इस असहनीय कष्ट में पीड़िता के परिवार के साथ हैं। उन्हें हर हाल में न्याय मिले और दोषियों को ऐसी सज़ा मिले जो समाज में एक नजीर की तरह प्रस्तुत की जाए।