शहडोल जिले के एक शासकीय शिक्षक को मुंबई साइबर ब्रांच से आई एक फर्जी कॉल के चलते डिजिटल अरेस्ट की स्थिति का सामना करना पड़ा। लेकिन शहडोल की साइबर टीम ने समय रहते उनकी मदद की और उन्हें इस समस्या से बाहर निकाल लिया। यह मामला तब सामने आया जब शासकीय हाईस्कूल बोडरी के प्राचार्य शिशिर कुमार मिश्रा को एक अनजान नंबर से कॉल आई, जिसमें उन्हें अश्लील गालियों का आरोप लगाते हुए उन्हें दो दिनों के भीतर मुंबई साइबर ब्रांच में हाजिर होने का निर्देश दिया गया।
साइबर सेल का सक्रिय हस्तक्षेप
साइबर सेल प्रभारी सत्य प्रकाश मिश्रा ने इस मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने बताया,हमने तुरंत मामले की जांच की और प्राचार्य को समझाया कि यह कॉल पूरी तरह से फर्जी है। ऐसे ठग अक्सर लोगों को डराकर पैसे वसूलते हैं। उनकी टीम ने चंद मिनटों में मामले को सुलझाया और प्राचार्य को आश्वस्त किया कि उन्हें चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के साइबर ठगी के मामलों में वृद्धि हो रही है। साइबर सुरक्षा यह एक गंभीर समस्या है। लोगों को ऐसे धोखेबाजों से सावधान रहना चाहिए और किसी भी प्रकार की कॉल पर तुरंत प्रतिक्रिया देने से पहले सोच-समझकर काम लेना चाहिए। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि साइबर ठगी के मामलों में जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। शहडोल साइबर सेल की तत्परता ने एक शासकीय शिक्षक को न केवल मानसिक तनाव से बचाया, बल्कि उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान किया। ऐसे मामलों में स्थानीय पुलिस और साइबर टीम की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, जो लोगों को सुरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए तत्पर हैं।
इस घटना के माध्यम से यह संदेश भी मिलता है कि जब भी कोई संदिग्ध कॉल आए, तो तुरंत किसी विशेषज्ञ या पुलिस से संपर्क करना चाहिए, ताकि कोई भी व्यक्ति धोखाधड़ी का शिकार न हो।