गर्मियों की छुट्टियों के चलते इन दिनों खिवनी वन्यजीव अभयारण्य पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय बना हुआ है। स्कूली बच्चों के साथ बड़ी संख्या में परिवार यहां पहुंच रहे हैं। अभयारण्य में बाघों की बढ़ती संख्या के साथ ही लुप्तप्राय प्रजाति के गिद्धों की भी वापसी ने पर्यावरण प्रेमियों और वन विभाग को उत्साहित किया है।
यहां बाघ, तेंदुआ और कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी देखे जा रहे हैं। खास बात यह है कि यहां लुप्तप्राय इजिप्शियन वल्चर (सफेद गिद्ध) का एक जोड़ा देखा गया है, जिनके घोंसले में अंडे होने की संभावना जताई गई है। इससे प्रजाति के संरक्षण को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं।
वन विभाग के अनुसार, वर्ष में दो बार गिद्धों की गणना होती है। सर्दियों में प्रवासी और गर्मियों में स्थानीय प्रजातियों की। हाल ही में बाघों की निगरानी के लिए लगाए गए ट्रैप कैमरों में एक ‘राज गिद्ध’ की तस्वीर कैद हुई है, जिससे इस प्रजाति की उपस्थिति की पुष्टि हुई है।
हरसपुर रेंज की दौलतपुर बीट में एक चट्टान पर मादा गिद्ध के घोंसले में अंडे देखे गए हैं। रेंजर भीम सिंह सिसौदिया ने बताया कि 1990 के बाद गिद्धों की संख्या में लगभग 90 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। ऐसे में इस जोड़े की मौजूदगी संरक्षण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। वन विभाग अब लॉन्ग टर्म एक्शन प्लान के तहत इन पक्षियों के संरक्षण की दिशा में प्रयास कर रहा है, ताकि हर मौसम में इनके लिए स्थायी और सुरक्षित आवास सुनिश्चित किए जा सकें।
प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता का केंद्र
विंध्य और सतपुड़ा पर्वतमालाओं के बीच स्थित खिवनी वन्यजीव अभयारण्य लगभग 118.64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां बाघों के साथ वन्य जीवों की समृद्ध विविधता देखने को मिलती है। फिलहाल अभयारण्य में 5 नर, 3 मादा बाघ और 2 शावक मौजूद हैं। इसके अलावा यहां लगभग 55 दुर्लभ पक्षी प्रजातियां भी दर्ज की गई हैं, जो पर्यटकों को रोमांच से भर देती हैं। मार्च और अप्रैल महीने में करीब 700 पर्यटकों ने यहां भ्रमण किया। जैव विविधता के संरक्षण के साथ-साथ यह अभयारण्य पर्यटन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।