
“आदरणीय कलेक्टर साहब, आपकी दूरदर्शिता और कार्यशैली को देखकर तो लगता है कि भविष्य में आपकी नीतियों पर शोध होना चाहिए! आखिर इतनी कुशलता से नजरें फेरने की कला हर किसी को कहां आती है?”
सतना जिले के कलेक्टर का एक बहुत अजीब फैसला सामने आया है। दरअसल, यहां कलेक्टर की जनसुनवाई में स्कूल की समस्या लेकर एक शिक्षक का आना, उन्हें इतना नागवार गुजरा कि उनके निलंबन का आदेश जारी कर दिया।
सतना कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस. ने ड्यूटी टाइम पर स्कूल छोड़कर जनसुनवाई में पहुंचे प्रभारी हेडमास्टर जितेंद गर्ग को निलंबित करने का आदेश दे दिया। कलेक्टर की इस कार्रवाई के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। फिलहाल, कलेक्टर के निर्देश पर विभागीय अधिकारी कार्रवाई में जुटे हुए हैं।
शिक्षण कार्य छोड़कर आने पर की कार्रवाई
बताया जाता है कि प्राथमिक विद्यालय चांदमारी रोड़ धवारी में पदस्थ हेडमास्टर विद्यालय से जुड़ी समस्या का निराकरण करने की मांग को लेकर जनसुनवाई में पहुंचे थे। हालांकि, जिस वक्त वे पहुंचे थे, उस वक्त लगभग साढ़े 12 बज रहा था। यह समय शिक्षण कार्य का था, लेकिन हेडमास्टर आवेदन लेकर जनसुनवाई में थे। इस बात से नाराज होकर कलेक्टर ने उन्हें निलंबित करने का आदेश दे दिया। लेकिन, स्कूल भवन में शौचालय और बाउंड्री वॉल की फाइल दो साल से दबाकर बैठे निगम के अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
ये है स्कूल की समस्या
करीब दो साल पहले स्कूल भवन में शौचालय और बाउंड्री बनाने की फाइल लालफीताशाही की शिकार है। बताया जाता है कि स्मार्ट सिटी मद से निर्माण की फाइल नगर निगम में अटकी हुई है। ऐसे में विद्यालय की छात्राओं को असुविधा हो रही है। इसी असुविधा को देखते हुए विद्यालय प्रबंधन मामले को कलेक्टर के संज्ञान में लाने के लिए समस्या का निराकरण किए जाने की मांग को लेकर पहुंचा था, जहां उनका आवेदन लेने के बाद निलंबित करने का आदेश जारी करवा दिया गया।
कलेक्टर ने दी ये दलील
वहीं, इस पूरे मामले पर कलेक्टर का कहना है कि दो शिक्षकीय शाला में एक महिला शिक्षक को स्कूल में छोड़कर बिना अनुमति स्कूल से यहां आना अनुशासनहीनता और कर्तव्य निर्वहन मे गंभीर लापरवाही है। उन्होंने संबंधित शिक्षक को निलंबित करते हुए कहा कि यदि किसी समस्या के लिए कलेक्टर से मिलना जरूरी था, तो स्कूल टाइम के बाद शाम 5 बजे भी मिल सकते थे।
दो साल से अटकी है फाइल
विद्यालय की बाउंड्री और शौचालय निर्माण की फाइल दो साल से नगर निगम में अटकी हुई है। विद्यालय समय पर जनसुनवाई में पहुंचने के लिए यूं तो हेडमास्टर जिम्मेदार हैं, लेकिन बार-बार दफ्तर के चक्कर काटने के लिए विभागीय अधिकारियों ने भी कहीं न कहीं विवश किया है। यदि समय पर सभी ने काम किया होता, तो यह स्थिति निर्मित नहीं होती। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अगर हेडमास्टर ने स्कूल के समय पर जनसुनवाई में जाकर गलती की, तो उनको निलंबित कर दिया गया। लेकिन उन अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई जो स्कूल की बाउंड्री और शौचालय निर्माण की फाइल दो साल से दबा कर बैठे हैं।