आईएएस अधिकारी रजनी सिंह
को भी न्यायालय में हाजिर होने का आदेश दिया गया है।
यह था मामला
खिमलासा निवासी नंदकिशोर पटवा साल 2016 में बीना नगर के आचवल वार्ड में किराए के मकान में रहते थे। साथ ही पास के हिरनछिपा गांव में आधार कार्ड सेंटर चलाते थे। दिनांक 23 जुलाई 2016 को तत्कालीन बीना एसडीएम आईएएस रजनी सिंह, तहसीलदार मोनिका बाघमारे और कंप्यूटर आपरेटर उसके आचवल वार्ड स्थित घर पहुंचे और घर पर रखा कंप्यूटर सहित अन्य सामान उठाकर तहसील कार्यालय में ले गए थे। नंदकिशोर ने विरोध किया तो उसके विरुद्ध शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने का प्रकरण पुलिस थाने में दर्ज कराया गया था।
जब्त हुई सामग्री लौटाई पर लैपटॉप नहीं दिया
साल 2018 में नंदकिशोर को तहसील कार्यालय से एक पत्र मिला, जिसमें जब्त सामग्री प्राप्त करने के लिए उसे निर्देशित किया गया था। जब नंदकिशोर तहसील कार्यालय पहुंचा तो उसे आइरिश मशीन, फिंगर प्रिंट मशीन, वेब कैमरा प्रदान किया गया, लेकिन लैपटाप नहीं दिया गया। जिसके जिसके लिए उसने जानकारी ली तो बताया गया कि लैपटाप नजारत शाखा में जमा नहीं हुआ है। 20 अप्रैल 2018 को सूचना के अधिकार तहत जानकारी मांगी तो एसडीएम कार्यालय से बताया गया कि उपरोक्त संबंध में कोई रिकॉर्ड कार्यालय नहीं है।
फरियादी ने किया परिवाद दायर
इसके बाद इसी मामले को लेकर नंदकिशोर ने 2 मई 2018 को परिवाद पत्र अधिवक्ता अमित सेन के माध्यम से न्यायालय में पेश किया गया था। जिसमें तत्कालीन एसडीएम आईएएस रजनी सिंह, तहसीलदार मोनिका वाघमारे और कंप्यूटर आपरेटर जितेंद्र रैकवार के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गई थी। पांच साल की सुनवाई के बाद न्यायालय ने माना कि अधिकारियों ने वैधानिक सेवा नहीं दी और घर में घुसकर सामान की जप्ती की है। इसलिए आरोपित रजनी सिंह, मोनिका वाघमारे और जितेंद्र रैकवार के विरुद्ध 451, 380 के तहत प्रकरण दर्ज किया जाए।
23 सितंबर को है अगली पेशी
कोर्ट ने बीना थाना प्रभारी को 27 जुलाई 2024 को आदेश तामील कर हलफनामा दाखिल करने तथा विपक्षी अधिकारी की 23 सितंबर को पेशी सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।