‘पोंगल’ (Pongal) दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता हैं। मान्यता है कि, इस दिन तमिल नववर्ष का आरंभ भी होता है। पोंगल का त्योहार सूर्य देव को समर्पित है, जो एक नहीं बल्कि चार दिन तक चलता है। मान्यता है कि, दक्षिण भारत में धान की फसल काटने के बाद लोग अपनी प्रसन्नता प्रकट करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं। इस दिन लोग समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप, सूर्य, इंद्रदेव और खेतिहर पशुओं की पूजा-आराधना की जाती है। ये उत्सव पूरे चार दिनों तक चलता है। प्रत्येक दिन का अपना अलग ही महत्व होता है। आइए जानें पोंगल 2024 की डेट और इन चारों दिनों में किस दिन क्या किया जाता है।
नए साल में पोंगल 15 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा। तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में पोंगल का त्योहार 4 दिन तक मनाया जाता है। इसमें दूसरा दिन यानी थाई पोंगल बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसे पोंगल कहते हैं।
प्रथम दिन
पोंगल के पहले दिन इंद्र देव की पूजा की जाती है। इस पूजा को भोगी पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन वर्षा के लिए भगवान इंद्र का आभार प्रकट करते हुए जीवन सुख और समृद्धि की कामना की जाती है। पोंगल के पहले दिन लोग अपने पुराने हो चुके सामानों की होली जलाते हुए नाचते हैं।
द्वितीय दिन
पोंगल पर्व के दूसरे दिन सूर्य देवता की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्य के उत्तरायण होने के बाद सूर्य देव का आभार प्रकट किया जाता है। एक विशेष खीर बनाई जाती है, जिसे पोंगल खीर कहा जाता है। दूसरे दिन को सूर्य पोंगल के तौर पर मनाया जाता है।
तृतीय दिन
इस पर्व में तीसरे दिन पशुओं की पूजा होती है। इसे मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। इसमें लोग मट्टू यानी बैल की विशेष रूप से पूजा करते हैं। अपने पशुओं का आभार व्यक्त करने के लिए इस दिन गाय और बैलों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन बैलों की दौड़ का भी आयोजन किया जाता है, जिसे जलीकट्टू कहते हैं।
चौथा दिन
चौथा दिन पोंगल पर्व का आखिरी दिन होता है। इस दिन को कन्या पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घरों को फूलों और पत्तों से सजाया जाता है। आंगन और घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है। कन्या पूजन कर लोग एक-दूसरे को पोंगल की बधाइयां देते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।