नर्मदापुरम। स्वतंत्रता के 79 साल बाद भी देश में तिरंगे के सम्मान को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे। सोशल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर में भाजपा का झंडा राष्ट्रीय ध्वज से बड़ा दिखाई देने का मामला सामने आया है। इस तस्वीर ने न सिर्फ राजनीति को गर्मा दिया है बल्कि आम जनता में भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
कांग्रेस का हमला
पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष पुष्पराज पटेल ने इस फोटो को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा करते हुए भाजपा पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने लिखा –
“ये है भाजपा का असली चाल, चरित्र और चेहरा तथा भ्रमिक राष्ट्रवाद। आज़ादी के 79 साल बाद भी ये लोग देश के झंडे को पार्टी के झंडे से बड़ा नहीं मानते।”
कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा बार-बार राष्ट्रवाद की बातें करती है, लेकिन जब तिरंगे के सम्मान की बात आती है तो वही सबसे पहले नियमों को तोड़ती है।
ध्वज संहिता क्या कहती है?
राष्ट्रीय ध्वज संहिता, 2002 के प्रावधानों के अनुसार –
किसी भी पार्टी, संगठन या संस्थान का झंडा राष्ट्रीय ध्वज से बड़ा या ऊँचा नहीं लगाया जा सकता।
तिरंगे की प्रतिष्ठा हमेशा सर्वोपरि होनी चाहिए।
इसका उल्लंघन राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत दंडनीय अपराध है।
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि यदि फोटो में दिख रही स्थिति सही पाई जाती है, तो यह ध्वज संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है और प्रशासन को इसमें कार्रवाई करनी चाहिए।
भाजपा की सफाई
विवाद पर नगर भाजपा मंडल अध्यक्ष मनीष चतुर्वेदी ने कहा –
“मैं तीन दिनों से यहां नहीं था। मामला संज्ञान में आया है, इसकी जांच करूंगा।”
भाजपा नेताओं का कहना है कि हो सकता है यह आयोजन स्तर पर हुई चूक हो, लेकिन तिरंगे का अपमान करने का कोई उद्देश्य नहीं था।
जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर लोग इस मामले को लेकर विभाजित नजर आए। कुछ ने भाजपा पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया तो कुछ ने इसे विपक्ष का राजनीतिक हथकंडा बताया। कई यूजर्स ने लिखा कि “राष्ट्रवाद केवल भाषणों में नहीं, बल्कि तिरंगे के सम्मान में दिखना चाहिए।”
यह विवाद एक बार फिर साबित करता है कि देश की राजनीति में राष्ट्रीय प्रतीकों का इस्तेमाल अक्सर दलगत लाभ के लिए किया जाता है। लेकिन सच्चाई यही है कि तिरंगे का सम्मान किसी भी राजनीतिक झंडे या विचारधारा से ऊपर है।