Pingleshwar Mahadev Shivling:चोरियासी महादेव में सबसे विशालकाय पिंगलेश्वर, पूजन-अर्चन करने से मिलता है सुख

Pingleshwar Mahadev Shivling Pingleshwar is the biggest in Choriyasi Mahadev worshiping gives happiness

पिंगलेश्वर महादेव

चोरियासी महादेव में 81 वां स्थान रखने वाले श्री पिंगलेश्वर महादेव का अति प्राचीन मंदिर मक्सी रोड पर जय गुरुदेव आश्रम के समीप स्थित है। जहां से वर्ष में एक बार निकलने वाली पंचक्रोशी यात्रा शुरू भी होती है और इस यात्रा का अंतिम पड़ाव भी यहीं पर है।

मंदिर के पुजारी पंडित शिवम शर्मा बताते हैं कि चोरियासी महादेव में सबसे विशालकाय शिवलिंग श्री पिंगलेश्वर महादेव का ही है। मंदिर में भगवान की काले पाषाण की प्रतिमा के साथ ही शिव परिवार विराजमान है। वहीं मंदिर के सामने  पशुपतिनाथ, सामने दीवार पर शिव पार्वती व ध्यान में लीन शिव की प्राचीन काले पाषाण की प्रतिमा भी अतिप्राचीन व चमत्कारी है। बताया जाता है कि श्री पिंगलेश्वर महादेव का पूजन अर्चन करने मात्र से ही चोरियासी महादेव का पूजन करने का फल प्राप्त हो जाता है।

वहीं इनका दर्शन करने से पितरों को मोक्ष व हजारों यज्ञों का फल भक्तों को प्राप्त होता है। शिवलिंग से एक कथा भी जुड़ी हुई है, जिसके बारे में बताया जाता है कि वर्षों पूर्व कान्यकुब्ज नगर में पिंगला नाम की कन्या अपने माता पिता के साथ निवास करती थी, लेकिन कुछ समय में ही उसकी माता और बाद में उसके पिता का निधन हो गया। अचानक आई इस विपदा से पिंगला दुखी हो गई, जिस पर धर्मराज ब्राह्मण का रूप धारण करके आए और उन्होंने पिंगला को इस जन्म में हो रहे कष्टों के बारे में बताया कि यह सब पुनर्जन्म में किए गए कार्यों के कारण तुम्हें भुगतना पड़ रहा है।

उन्होंने बताया कि पूर्व जन्म में तुम वेश्यावृत्ति करती थी। उस समय तुम्हारे साथ एक ब्राह्मण वशीभूत होकर रहता था जो कि शादीशुदा था। तुम्हारे मोह के कारण ही उसने अपनी पत्नी का त्याग कर दिया था लेकिन कुछ समय बाद ही एक व्यक्ति ने उसी ब्राह्मण की तुम्हारे घर पर हत्या कर दी थी, जिससे उसके माता-पिता ने तुम्हें यह श्राप दिया था। तुम सदैव पिता हीन होगी और पति को प्राप्त नहीं कर पाओगी। धर्मराज ने यह भी बताया कि एक ब्राह्मण को राजा के यहां दंडित होने से तुमने बचाया था, इसीलिए तुम्हारा जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ है।

पिंगला ने जब धर्मराज से पापों का प्रायश्चित करने का उपाय पूछा तो धर्मराज ने उसे महाकाल में स्थित शिवलिंग का पूजन अर्चन करने को कहा था, जिसके बाद पिंगला ने इसी शिवलिंग पर पूजा अर्चना कर ऐसी प्रभु भक्ति की, की इसी शिवलिंग के पास वह शिव में लीन हो गई। क्योंकि उसकी प्रभु भक्ति काफी अधिक थी यही कारण था कि यह शिवलिंग पिंगला के नाम से पिंगलेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हो गया। बताया जाता है कि जो भी मनुष्य सच्चे मन से पिंगलेश्वर महादेव का पूजन और दर्शन करता है। उससे भगवान सदैव प्रसन्न रहते हैं और उसे सहस्त्र अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है।

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