थर्ड पार्टी बीमा होने पर ही मिलेंगे पेट्रोल-डीजल, सीएनजी और फास्टैग, नियमों को सख्त करने की  तैयारी….

आने वाले दिनों में जिन वाहनों का थर्ड-पार्टी बीमा नहीं होगा, उन्हें ईंधन यानी पेट्रोल-डीजल या सीएनजी भरवाने और फास्‍टैग खरीदने की अनुमति नहीं मिलेगी। साथ ही बिना बीमा वाले वाहन मालिक के ड्राइविंग लाइसेंस का रिन्युअल भी नहीं होगा। वित्त मंत्रालय ने थर्ड पार्टी बीमा को बढ़ावा देने के लिए कई कड़े कदम उठाने जा रहा है।

वित्त मंत्रालय ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से मोटर वाहन बीमा से संबंधित विभिन्न उपायों पर विचार करने की सिफारिश की है, जिसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि थर्ड-पार्टी बीमा के बिना कोई वाहन सड़क पर न चले। वित्त मंत्रालय के प्रस्तावों में यह भी शामिल है कि केवल उन वाहनों को ईंधन और फास्टैग दिया जाए, जिनके पास वैध थर्ड-पार्टी बीमा हो।

जल्द होगा नियमों में बदलाव


मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय इन प्रस्तावों पर काम कर रहा है और जल्द ही नियमों में बदलाव किया जा सकता है। इसके तहत वाहन संबंधी सेवाओं को बीमा कवर से जोड़ा जाएगा। इसके तहत पेट्रोल पंपों और अन्य सेवाओं को इस तरह से जोड़ा जाए कि केवल वैध बीमा वाले वाहनों को ही सेवाएं दी जाएं। इसके साथ ही राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाएंगे।

क्यों जरूरी है थर्ड पार्टी बीमा


मोटर वाहन अधिनियम-1988 के तहत सभी वाहनों के लिए थर्ड-पार्टी बीमा अनिवार्य है, जो कम से कम तीन महीने का होना चाहिए। यह बीमा दुर्घटना में किसी तीसरे पक्ष को हुए नुकसान की भरपाई के लिए होता है। अनिवार्य होने के बावजूद भारतीय सड़कों पर आधे से अधिक वाहन बिना बीमा के चल रहे हैं।

आधे वाहन चालकों के पास यह बीमा नहीं


सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में भारत में लगभग 34 करोड़ पंजीकृत वाहन थे, लेकिन इनमें से केवल 43-50% के पास ही वैध थर्ड-पार्टी बीमा था। वर्ष 2024 में संसद की एक समिति ने इस मुद्दे पर विचार किया और इसे लागू करने की सिफारिश की। मार्च 2020 तक लगभग 6 करोड़ वाहन बिना बीमा के पाए गए थे।

बिना बीमा पकड़े जाने पर जुर्माना


वर्तमान में मोटर वाहन अधिनियम के तहत, थर्ड-पार्टी बीमा के बिना वाहन चलाना अपराध है? पहली बार पकड़े जाने पर ₹2,000 जुर्माना या तीन महीने की जेल, या दोनों हो सकते हैं। दूसरी बार अपराध करने पर जुर्माना ₹4,000 तक बढ़ सकता है।

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